एक ऐसे समय में जब महंगाई ऐतिहासिक ऊँचाई छू रही है, यह
कयास लगाना मुश्किल नहीं कि बुजुर्गों के लिए जीवन जी पाना सबसे ज्यादा कठिन साबित
हो रहा है।
पेंशन
परिषद द्वारा जारी एक वक्तव्य के अनुसार फिलहाल देश में 60 साल की उम्र पार कर
चुके बुजुर्गों को सरकार की तरफ से सामाजिक सुरक्षा के नाम पर 200 रुपये का मासिक
वृद्धावस्था पेंशन मिलता है और उम्र की आठ दहाई पार कर चुके बुजर्गों को 500
रुपये। उक्त राशि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत केंद्रीय
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दी जाती है।
जैसा
कि नोट में ध्यान दिलाया गया है कि उक्त रकम हर बुजुर्ग को नहीं बल्कि लालकार्ड धारी(गरीबी-रेखा से
नीचे रहने वाले) बुजुर्गों को मिलती है। इस वजह से देश में बुजुर्गों की तादाद
9.92 करोड़ होने के बावजूद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन के हितग्राही
बुजुर्गों की तादाद मात्र 1.97 करोड़ है यानि 60 साल पार कर चुके हर पाँच व्यक्ति
में से महज एक व्यक्ति को ही इस योजना का लाभ मिल पाया है।
यह
बात ठीक है कि राज्य सरकारें अपने राजस्व से बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन के मद
में दी जाने वाली राशि में इजाफा कर सकती हैं लेकिन इस मोर्चे पर भी आंकड़े स्थिति
को ज्यादा संतोषजनक साबित नहीं करते। पेंशन परिषद द्वारा जारी नोट के अनुसार साल
2011 तक बुजुर्गों को सरकार की तरफ से सामाजिक सुरक्षा के नाम पर पेंशन के रुप
सर्वाधिक (1000 रुपयेमासिक) की राशि गोवा और दिल्ली में हासिल हो रही थी तो सबसे
कम(200 रुपये मासिक) आंध्रप्रदेश, बिहार और ओडिशा में।
पेंशन
परिषद द्वारा जारी नोट के अनुसार अर्थव्यवस्था के नियोजित क्षेत्र में काम करके
सेवानिवृत होने वाली बुजुर्गों की हालत तनिक अच्छी मानी जा सकती है क्योंकि उन्हें
अपनी नौकरी के दौरान प्राप्त होने वाले वेतन के हिसाब से पेंशन मिलता है और ऐसे
बुजुर्ग ज्यादातर समाज के समृद्ध या फिर मध्यवर्ग के ऊपरले हिस्से में आते हैं।
वृद्धावस्था पेंशन की सर्वाधिक जरुरत उन बुजुर्गों को है जो अर्थव्यवस्था के
अनियोजित क्षेत्र में काम करते हैं और इस नाते वे अपने रोजगार से किसी पेंशन की
उम्मीद नहीं लगा सकते। यह बात जानी-पहचानी है कि अर्थव्यवस्था के अनियोजित क्षेत्र
में अनुसूचित जाति,
अनुसूचित जनजाति, सामाजिक
रुप से लांछित करार दिए गए वर्ग (जैसे- यौनकर्मी, एचआईवी पॉजिटिव तथा
ट्रांसजेंडर) के सदस्य सबसे ज्यादा संख्या में कार्यरत हैं और इनके लिए सामाजिक
सुरक्षा के अभाव में अपने वृद्धावस्था में जीवन-यापन कर पाना सबसे ज्यादा मुश्किल
साबित होता है।
ध्यान
देने योग्य तथ्य यह है कि देश की अर्थव्यवस्था को साल 2000-2010 के बीच अनियोजित
क्षेत्र ने 0.3 फीसदी सालाना की दर से श्रमिक प्रदान किए और इस अवधि में देश की
जीडीपी औसतन साढ़े सात फीसदी सालाना की दर से आगे बढ़ी। पेंशन परिषद द्वारा जारी
नोट के अनुसार अर्थव्यवस्था की इस वृद्धि में बहुत बड़ा योगदान अनियोजित क्षेत्र
में लगे श्रमिकों का है और इसी कारण सामाजिक सुरक्षा के मद में उन्हें सार्वभौमिक
रुप से बढ़ती हुई महंगाई के अनुकूल पेंशन प्रदान करना सरकार का फर्ज बनता है।
अपनी
मांगों के साथ पेंशन परिषद संसद के शीतकालीन सत्र से पहले पिछले साल की भांति इस
साल भी दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर 25 नवम्बर से पेंशन के मुद्दे पर जोर देने के
लिए धरने पर बैठ रही है। परिषद द्वारा इस आशय का जारी वक्तव्य नीचे पेस्ट किया जा
रहा है-
प्रिय
साथियों और सहकर्मियों,
जैसा
की आप को याद होगा हमने यह निर्णय लिया था की जब तक हमारी मांगे काफी हद तक नहीं
मान ली जातीं हम हर संसद सत्र में एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन करेंगे. फरवरी 2012 में जब से पेंशन परिषद का गठन हुआ है
हम लोग संसद के हर सत्र में दिल्ली में मिलते रहे हैं, हालांकि हर बार हमारे विरोध प्रदर्शन का
स्वरुप फरक रहा है. हमारी मुख्य मांग थी –
सभी बुजुर्गों को पेंशन जो की न्यूनतम मजदूरी का आधा हो.
आज
हम एक बार फिर आपको संसद के इस शीत कालीन सत्र में पेंशन परिषद केप्रदर्शन में
आमंत्रित करने के लिए लिख रहे हैं. इस बार लगभग 500
वृद्ध लोग 25
नवम्बर, 2013
से दिल्ली में अपनी मांगो को ले कर तब तकबैठेंगेजब तक हमारी मांगे काफी हद तक
नहें मान ली जाती हैं!
6 मार्च 2013
को 26
राज्यों से 15000
से अधिक बुज़ुर्ग और समर्थक सरकार से अपनी मांगो के लिए आशवासन मांगने के लिए
इकट्ठा हुए. पहले ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश ने प्रधान मंत्री के पत्र
(सन्लग्न)में दिए निर्देशों के आधार पर पेंशन परिषद से सैधांतिक सहमती बनाई. इस के
बाद मंत्री महोदय ने पार्लिमेंट स्ट्रीट पर आ कर पेंशन परिषद के धरने को संबोधित
किया और अपना आशवासन दोहराया.
हालांकि
सरकार ने अभी तक अपना आश्वासन पूरा नहीं किया है,
पर कई राज्य सरकारों ने सर्वव्यापी पेंशन के लिए कदम उठाये
हैं. यह काफी नहीं है पर इस से आन्दोलन में एक उत्साह बना रहा. यह स्पष्ट है की
जैसे राज्य और राष्ट्रीय चुनाव नज़दीक आ रहे हैं,
यदि हम संगठित संघर्ष करें तो हम इज्ज़त से जी सकने की इस
लड़ाई में जीत हासिल कर सकेंगे.
22 अगस्त को हमने एक दिन का धरना किया था.
इस ही दिन हमने आगे की तैय्यारी भी की और दिल्ली के समूहों ने पेंशन का स्वरुप, फैलाव और असर को समझने के लिए एक सर्वे
करने का निश्चय किया. इस सर्वे की एक संक्षिप्त रिपोर्ट अब तैय्यार है.
यह
शीत कालीन सत्र शायद हमारे लिए आखिरी मौक़ा होगा जब हम एक सर्वव्यापी पेंशन योजना
के लिए प्रयास कर सकते हैं राष्ट्रीय चुनाव की घोषणा से पहले!
पांच
राज्यों में चुनाव की घोषणा की जा चुकी है इन में एक राज्य दिल्ली भी है. इस बात
को ध्यान में रखते हुए यह महसूस किया गया की 25
नवम्बर से पेंशन के मुद्दे पर जोर देना ठीक रहेगा. हमारा जोर रहेगा की हम “मांग ले कर आये हैं! पेंशन ले कर
जायेंगे!style="font-size: 12pt; font-family: 'Times New Roman','serif'">” हमारा
शुरुआती इरादा है की हम कम से कम एक महीने बैठने की तैय्यारी से बैठेंगे जब तक
हमारी मांग काफी हद तक पूरी नी हों.
इस
दौरान हम यह उम्मीद भी कर रहे हैं की विभिन्न जन आन्दोलन और अभियान इस कार्यक्रम
में भाग लेंगे जिस से कई मुद्दों पर विस्तृत विश्लेषण हो सकेगा और जनता का एक
घोषणा पत्र बनेगा. इस जनता के घोषणा पत्र का इस्तमाल राष्ट्रीय चुनाव के लिए किया
जा सकता है.
500 वृद्ध लोगों की दिल्ली में व्यवस्था
करना हमारे लिए एक चुनौती होगी पर यह सांसदों के लिए भी एक दबाव होगा.
यदि
आप इस कार्यक्रम के लिए या इस के बाद अपना स्वेचिक सहयोग परिषद को देना चाहें तो
हमें बहुत ख़ुशी होगी! आप का हर तरह का सहयोग हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा!
कृपया
यह आमंत्रण अन्य साथियों को भी भेजें जो इस मुद्दे को अपना समर्थन देंगे. कृपया
अपना जवाब हमें जल्द भेजें, तथा
हमें यह भी सूचित करें की आप के यहाँ से कितने साथी इस प्रदर्शन में 25 नवम्बर को दिल्ली आयेंगे.
“ए. पी. एल. बी. पी एल. ख़तम करो!
सबको
राशन पेंशन दो!”
जिंदाबाद!
पेंशन
परिषद की ओर से
बाबा
आढव और अरुणा राय
संपर्क:
शंकर सिंह 09414003247
पूर्णिमा 09422317928
निखिल 09910421260
कामायनी
09771950248 संजय
style="font-size: 12pt; font-family: 'Times New Roman','serif'">0981711644 नलिनी
07829777737 अरविं
09304238717, अमबा
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