गरीब विकासशील देशों के बीच बढ़ता मतभेद उजागर: ईआईए

वारसा। पर्यावरण मुद्दों पर काम करने
वाले संगठन ‘इनवायरनमेंटल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी’ (ईआईए) का कहना है कि
जलवायु परिवर्तन पर यहां संपन्न हुए सम्मेलन में गरीब विकासशील देशों के
बीच बढता मतभेद उजागर हुआ है।
एजेंसी का कहना है कि अगर जलवायु परिवर्तन को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया
तो सबसे अधिक नुकसान इन्हीं विकासशील देशों का होना है।

एजेंसी ने कहा है, ‘ इस साल की वार्ताओं से गरीब विकासशील देशों के बीच
बढता मतभेद उजागर हुआ है। जलवायु परिवर्तन को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया
तो सबसे अधिक नुकसान इन्हीं विकासशील देशों का होना है।’

विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक तथा राजनीतिक शक्तियों के वैश्विक धु्रवों में बदलाव के साथ ही जलवायु वार्ताओं
की दुनिया केवल विकसित तथा विकासशील देशों के बीच का मामला नहीं रह गया
है।

उल्लेखनीय है कि चीन ने कहा है कि वह पोलैंड में जलवायु वार्ता पर नतीजे
से संतुष्ट नहीं है लेकिन जो भी सहमति बनी है, उसे वह स्वीकार करता है। इस
सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के बीच 2015 में पेरिस में नये जलवायु
समझौते पर सहमति बनी है।

वारसा में दो दिवसीय संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में 190 से अधिक
देशों और क्षेत्रों के दूत इस आम सहमति पर पहुंचे हैं कि सभी देशों को
कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिये योगदान देना चाहिए।

(एएफपी)

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