सचमुच मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती. वे जो
ठानते हैं, कर दिखाते हैं. उदाहरण के तौर पर आप सीवान जिले के रिसौरा गांव
के निर्मल कुमार को ले लीजिए. बचपन से पोलियोग्रस्त रहे. इसके बावजूद गांव
से तीन किलोमीटर पैदल चल कर पढ़ाई पूरी की. उन्होंने दुनिया को बताया कि
कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी कामयाबी हासिल की जा सकती है. नि:शक्त
होने के बावजूद दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर वे आगे बढ़ते रहे. अपने प्रबंधन
कौशल से आज निर्मल कुमार करोड़ों के मालिक हैं.
निर्मल जन्म के तीन वर्ष बाद पोलियो का शिकार हो गया. उनके पिता राजा
राम सिंह प्राइमरी स्कूल के शिक्षक हैं. गांव से तीन किलोमीटर दूर वह पढ़ने
जाता था. बावजूद इसके निर्मल ने हिम्मत नहीं हारी. पोलियो ग्रस्त होने के
बावजूद पैदल स्कूल जाता था. शारीरिक दुर्बलता के बावजूद फुटबॉल भी खेला
करता था और पिता के साथ खेतीबारी के काम में भी हाथ बढ़ाया करता था. निर्मल
ने नेशनल टैलेंट स्कॉलरशिप प्राप्त किया. पटना के एएन कॉलेज से 1997 में
निर्मल ने आइएससी की परीक्षा पास की. उसके बाद हैदराबाद चला गया. वहां उसने
बीएससी की पढ़ायी पूरी की. फिर बीटेक की डिग्री ली. इसके बाद कैट परीक्षा
पास की. अहमदाबाद से उसने आइआइएम की पढ़ाई की.
अहमदाबाद में खोली कंपनी
प्रबंधन की पढ़ाई पूरी करने के बाद निर्मल ने नौकरी नहीं की. उन्होंने जी
ऑटो नामक कंपनी की शुरुआत की जिसके सीइओ खुद निर्मल हैं़ पहले ही साल में
1.75 करोड़ कंपनी का टर्न ओवर पहुंचाया. निर्मल को 20 लाख रुपये का मुनाफा
हुआ़ निर्मल की ऑटो कंपनी के पास करीब तीन हजार ऑटो रिक्शा हैं. सभी पर
पब्लिक टेलीफोन लगा है. सवारियों से अच्छा व्यवहार करने के लिए ड्राइवरों
को प्रशिक्षित किया जाता है. प्रत्येक ड्राइवर को दो लाख का जीवन बीमा और
50 हजार के स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी जाती है.
निर्मल ने ओएनजीसी, रिलांयस और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से बेहतर संबंध
बनाये हैं. गुजरात के सीएम ने भी निर्मल के लिए समय दिया और भविष्य की
योजना पर चर्चा की.
मेहनत से दिया तिरस्कार का जवाब
निर्मल की मानें, तो विषम परिस्थितियों ने उनके जीवन की राह बदल दी.
उन्होंने अच्छे माहौल का फायदा उठाया. उनके बिहारी टोन और अंगरेजी शब्दों
के उच्चारण पर लोग हंसते थ़े. निर्मल ने फोयनिक्स की स्थपाना की.
कम्यूनिकेशन स्किल बढ़ाने के लिए लोग वहां आने लग़े वहां ज्वलंत मुद्दों
पर अंगरेजी में वाद-विवाद कराया जाता था. स्थानीय भाषा के प्रयोग पर 25
पैसे का फाइन लगता था. इससे उन्हें कैट की परीक्षा में बहुत मदद मिली.
ऐसे करते हैं मल्टीपुल कमाई
निर्मल कुमार का कहना है की ऑटो विज्ञापन के अच्छे साधन हैं. नारियल का
पानी ठंडा करने वाले कार्ट के साथ उन्होंने मिस्टर कोको को भी लांच किया.
इन कार्टो में चिलिंग यूनिट लगी है, जो 30 सेकेंड में नारियल पानी को ठंडा
कर देती है. एसबीआइ की मदद से 5 कार्टो के शुरुआती दौर से आज सैकड़ो कार्ट
की संख्या बढ़ाने में वे कामयाब हैं.
पत्नी को भी लगाया प्रबंधन में निर्मल कुमार की शादी 10 अक्तूबर, 2009
को सीवान जिलेके भगवानपुर प्रखंड के सारीपट्टी गांव में हुई थी. पत्नी
ज्योति भी पैर से विकलांग है. ज्योति ने रसायनशास्त्र से एमएससी की डिग्री
ली है. वे भी अपना पूरा समय देकर पति के मैनेजमेंट कार्य में सहयोग करती
हैं.