चेन्नई। देशभर में मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या में अचानक तेजी आई है और केवल पिछले वर्ष ही 205 मामले दर्ज किए गए।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष पुलिसकर्मियों के खिलाफ कुल 205 मामले दर्ज किए गए जो कि वर्ष 2011 में दर्ज 72 मामलों और 2010 में दर्ज 37 मामलों से बहुत अधिक हैं।
हालांकि इन 205 मामलों में केवल 19 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए गए और पिछले वर्ष किसी को दोषी नहीं ठहराया गया।
असम में पिछले वर्ष पुलिसकर्मियों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के सर्वाधिक 102 मामले दर्ज किए गए जबकि दिल्ली में 75 मामले दर्ज किए गए। लेकिन असम में किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ आरोपपत्र दायर नहीं किया गया जबकि दिल्ली में 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए। हालांकि इनमें से किसी को भी 2012 में दोषी नहीं ठहराया गया।
दिल्ली ने 2011 में भी अपने पुलिसकर्मियों के खिलाफ 50 मामले दर्ज किए थे और 40 के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए थे। विभिन्न वर्षों में दर्ज विभिन्न मामलों में 232 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2010 में बिहार में पुलिसकर्मियों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के सर्वाधिक नौ मामले और गुजरात में आठ मामले दर्ज किए गए। हालांकि बिहार ने पांच और गुजरात ने दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए लेकिन 2010 में बिहार में चार और गुजरात में किसी भी पुलिसकर्मी को दोषी नहीं ठहराया गया।
पुलिसकर्मियों के खिलाफ लोगों के लापता होने, अवैध हिरासत, फर्जी मुठभेड़ में हत्या, आतंकवादियों (कट्टरपंथियों) के खिलाफ हिंसा, जबरन वसूली, प्रताड़ना, झूठे मामलों में फंसाना, कार्रवाई करने में असफलता, महिलाओं का अपमान, अनुसूचित जाति (अनुसूचित जनजाति) के खिलाफ अत्याचार और अन्य मामले दर्ज किए गए हैं।
(भाषा)