देश में
डेयरी उद्योग अगले वर्षों में तेजी से बढऩे की संभावना है। संगठित और
असंगठित क्षेत्र में इस उद्योग का कारोबार वर्ष 2020 तक बढ़कर 140 अरब डॉलर
तक पहुंचने की संभावना है क्योंकि लोगों की आय बढऩे की वजह से उनकी मांग
में तेजी से इजाफा हो रहा है।
इन्वेस्टर रिलेशन्स सोसायटी (आईआरएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार अगले सात
वर्षों में भारतीय डेयरी उद्योग का आकार बढ़कर दोगुना हो जाएगा। इस समय इस
उद्योग का कारोबार करीब 70 अरब डॉलर है।
उपभोक्ताओं की आय में तेजी से इजाफा हो रही है। इससे डेयरी उद्योगों की
मांग बढ़ रही है। इस वजह से अगले पांच-छह वर्षों तक इस उद्योग की विकास दर
खासी तेज रहने की संभावना है। इस उद्योग की सालाना विकास दर 15-17 फीसदी के
आसपास रह सकती है। डेयरी के वैल्यू एडेड प्रोडक्ट की बिक्री इस दौरान हर
साल 24 फीसदी की दर से बढऩे का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि सकल घरेलू उत्पादन में दूध का योगदान
सबसे ज्यादा है। इसका कुल योगदान कृषि सकल घरेलू उत्पादन में करीब 22 फीसदी
है। डेयरी उद्योग के मामले में भारत 1998 में अमेरिका से आगे निकल गया था।
इस समय वह सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है।
भारत में करीब 15 फीसदी दूध का उत्पादन होता है। रिपोर्ट के अनुसार
दुग्ध उद्योग की भारत में पारंपरिक जड़ें अत्यंत मजबूत है। यहां की
संस्कृति में बसा यह उद्योग अपनी तेज विकास दर के चलते निवेशकों को आकर्षित
कर रही है। इस उद्योग की वित्तीय स्थिति में खासा सुधार हुआ है और कई
कंपनियां इस क्षेत्र में प्रवेश कर रही है।
इस क्षेत्र में प्राइवेट इक्विटी सौदों और विदेशी कंपनियों के आगमन से
संगठित क्षेत्र के इस उद्योग की विकास दर तेज रहना तय है। आईआरएस के चीफ
एक्जीक्यूटिव ऑफीसर कैलाश निचानी ने कहा कि ताजे दूध के बजाय वैल्यू एडेड
प्रोडक्ट में ऑपरेटिंग मार्जिन दोगुना हो गया है क्योंकि तेज शहरीकरण के
चलते उपभोक्ताओं की खानपान की आदतें बदल रही है।