हिमाचल में फार्मा कंपनियों और दवा विक्रेताओं को महंगी दवाएं बेचने का
रास्ता बंद हो गया है। इसके लिए फार्मा कंपनियों को आपत्तियां दर्ज करवाने
को दी गई मोहलत खत्म हो गई है।
केंद्र सरकार की नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) अब इन फार्मा कंपनियों की सुनवाई नहीं करेगी।
इसके साथ हिमाचल में सैकड़ों दवाओं को हर हाल में सस्ते दाम पर बेचना होगा। एनपीपीए ने 338 दवाओं के रेट कम किए हैं।
केंद्रीय
अथॉरिटी ने 24 सितंबर को यह आदेश जारी किए थे कि जो भी फार्मा कंपनी 338
तरह की दवाओं को लेकर आपत्तियां दर्ज करना चाहती है, उसे 15 दिन का समय
दिया जाता है।
इस तिथि के हिसाब से 15 दिन का समय सात अक्तूबर को
पूरा हो गया। इस समय-सीमा के बाद आगामी 15 दिन तक ही इन पर फैसला लेने का
समय तय किया।
सभी आपत्तियों पर निर्णय भी दो दिन के भीतर यानी 22
अक्तूबर से पहले सुना दिए जाएंगे। एनपीपीए के एडवाइजर (सी) एके गौतम की ओर
से जारी आदेश के अनुसार 15 दिन के बाद जो रिप्रेजेंटेशंस प्राप्त की जाएगी,
उन्हें टाइम बार माना जाएगा। इन्हें रद कर दिया जाएगा।
इस तरह से
अधिकतर फार्मा कंपनियों के पास अब कोई बहाना नहीं रह जाएगा। हिमाचल देश का
बद्दी-परवाणू क्षेत्र देश का बड़ा फार्मा हब है।
यहां हजारों
फार्मा कंपनियों की दवा निर्माण इकाइयां हैं। इन सभी को नए आदेशों की
अनुपालना करनी होगी। वहीं, राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने भी माना कि
इस संबंध में एनपीपीए के नए आदेश जारी होने को लेकर उन्होंने सुना है।
दवा
विक्र्रेताओं पर मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया करवाने के लिए नजर रखी गई
है। कई नामी कंपनियां इस संबंध में संवेदनशील हैं। उन्होंने खुद पहल करते
हुए भी अब रेट गिराकर दवाएं बेचनी शुरू कर दी हैं।
किन दवाओं के रेट गिरे
एनपीपीए ने सात अलग-अलग बैठकों में 338 तरह की दवाओं की प्राइस सीलिंग तय की है।
इसके
अनुसार एंटीबायोटिक, जीवनरक्षक, ब्लड प्रेशर, हृदयरोग आदि तमाम तरह की
दवाओं के रेट 60 फीसदी तक भी गिराए गए हैं। एक ही तरह के सॉल्ट की दवाओं के
एक जैसे दाम लेने होंगे।