भूमि अधिग्रहण एक्ट 1 जनवरी से होगा प्रभावी

यह ऐतिहासिक अधिनियम किसानों को दिलाएगा उनकी जमीन का वाजिब मुआवजा

इस अधिनियम को जितनी जल्दी अधिसूचित किया जाएगा, उतनी ही जल्दी भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुआवजे को लेकर जारी अनिश्चितता खत्म होगी।     – जयराम रमेश, ग्रामीण विकास मंत्री

राज्यों की राय नामंजूर
राज्य सरकारों की राय यह थी कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम को 1 अप्रैल, 2014 से अधिसूचित किया जाए
इस एक्ट के जल्द प्रभावी होने के मद्देनजर राज्यों को अब अपने यहां संबंधित प्राधिकरण की स्थापना जल्द ही करनी पड़ेगी

किसानों को अपनी जमीन का वाजिब मुआवजा दिलाने वाला ऐतिहासिक भूमि
अधिग्रहण अधिनियम अगले साल की पहली तारीख यानी 1 जनवरी से प्रभावी हो
जाएगा। यह जानकारी मंगलवार को सरकार की ओर से दी गई।

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने इस बारे में दिए गए अन्य सुझावों पर
गौर करने के बाद ही उपर्युक्त निर्णय लिया है। खासकर राज्य सरकारों की राय
यह थी कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम को 1 अप्रैल, 2014 से अधिसूचित किया जाना
चाहिए। मालूम हो कि उपर्युक्त भूमि अधिग्रहण अधिनियम ही 119 साल पुराने
कानून का स्थान लेगा।

रमेश ने यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा, ‘इस अधिनियम को जितनी
जल्दी अधिसूचित किया जाएगा, उतनी ही जल्दी भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुआवजे
को लेकर जारी अनिश्चितता खत्म होगी।

‘ इसके साथ ही रमेश ने ‘वाजिब मुआवजे का अधिकार और भूमि अधिग्रहण में
पारदर्शिता, बहाली व पुनर्वास एक्ट, 2013’ को अगले साल की पहली तारीख से
प्रभावी करने की घोषणा कर दी। गौरतलब है कि इस नए कानून को राष्ट्रपति की
ओर से गत 27 सितंबर को ही हरी झंडी मिल गई थी।

कुछ राज्य सरकारों की राय यह थी कि अगर भूमि अधिग्रहण अधिनियम को नए
वित्त वर्ष की शुरुआत में अधिसूचित किया जाएगा तो उन्हें इस पर अमल के
वास्ते आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर का इंतजाम करने के लिए कुछ समय मिल जाएगा।
हालांकि, इस एक्ट के जल्द प्रभावी होने की बात को ध्यान में रखते हुए राज्य
सरकारों को अब अपने यहां संबंधित प्राधिकरण की स्थापना जल्द ही करनी
पड़ेगी।

गौरतलब है, नए भूमि अधिग्रहण एक्ट में यह साफ कर दिया गया है कि
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) वाली परियोजनाओं के वास्ते भूमि का
अधिग्रहण करते वक्त न्यूनतम 70 फीसदी भू-स्वामियों की मंजूरी आवश्यक होगी।
इसी तरह प्राइवेट कंपनियों के वास्ते जमीन का अधिग्रहण करते वक्त 80 फीसदी
भू-स्वामियों की मंजूरी जरूरी होगी।

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