ओईसीडी ने कहा, 2014-18 के दौरान देश की सालाना विकास दर औसतन 5.9 फीसदी ही रहेगी
ओईसीडी की रिपोर्ट
भारतीय अर्थव्यवस्था चालू खाता घाटा समेत अनेक समस्याओं से त्रस्त
वहीं, उभरते एशिया में आर्थिक विकास की रफ्तार आगे भी रहेगी दमदार
घरेलू मांग मे लगातार बढ़ोतरी की बदौलत ही तेज विकास हो पाएगा संभव
बेहतरी कहां
एमर्जिंग एशिया की सालाना विकास दर इस दौरान औसतन 6.9′ रहने का अनुमान
उभरते एशिया में भारत के अलावा दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र और चीन भी हैं शामिल
भारत में तेज विकास की आस लगाए बैठे लोगों एवं कंपनियों को ताजा
अनुमान से एक बार फिर निराशा ही हाथ लगेगी। पेरिस स्थित थिंक-टैंक ‘ओईसीडी’
का मानना है कि वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच भारत की सालाना आर्थिक
विकास दर औसतन 5.9 फीसदी ही रहेगी।
वहीं, इस दौरान एमर्जिंग यानी उभरते एशिया की विकास दर औसतन 6.9 फीसदी रहने का अनुमान
है। इससे साफ जाहिर है कि भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर इस
दौरान उभरते एशिया के मुकाबले बेहद कम रहेगी। मालूम हो कि उभरते एशिया में
दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र, चीन एवं भारत शामिल हैं।
ओईसीडी का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को चालू खाता घाटा समेत अनेक
समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने
मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले समय में भी उभरते
एशिया में आर्थिक विकास की रफ्तार दमदार ही रहेगी। घरेलू मांग मेें लगातार
बढ़ोतरी की बदौलत ही तेज विकास संभव हो पाएगा।
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन का कहना है कि वैसे तो ग्लोबल वित्तीय
संकट से पहले उभरती एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर 8.6 फीसदी रही थी,
लेकिन इसके बावजूद 2014-18 के लिए अनुमानित 6.9 फीसदी की विकास दर को
संतोषजनक ही माना जाएगा।
इस संगठन की रिपोर्ट में इस ओर ध्यान दिलाया गया है कि उभरते एशिया की
दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं चीन और भारत में विकास की रफ्तार पहले के
मुकाबले कम रहने के चलते ही एमर्जिंग एशिया में विकास की गति मंद नजर आ रही
है।