पटना:
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि बिहार को नो इंडस्ट्री स्टेट का
दर्जा दिया जाना चाहिए. जिस तरह से नो इंडस्ट्री डिस्ट्रिक को सुविधाएं दी
जाती है, उसी आधार पर बिहार में करों में रियायत दी जानी चाहिए. करों में
छूट 10 वर्षों के लिए दिया जाना चाहिए. राघुराम राजन कमेटी की अनुशंसा का
बिहार हकदार भी है.
बिहार के एक दिवसीय दौरे पर आये एसोचैम के महासचिव ने बताया कि वित्तीय
वर्ष 2004-05 से लेकर 2012-13 के दौरान बीमारू राज्यों के विकास की रिपोर्ट
जारी किया. एसोचैम द्वारा किये गये केंद्र और राज्य सरकार के रिपोर्ट पर
तैयार किये आंकड़ों के आधार पर श्री रावत ने बताया कि बीमारू राज्यों में
बिहार ऐसा राज्य है जहां नौ वर्षो के दौरान प्रतिवर्ष के जीएसडीपी में
सर्वाधिक 9.3 फीसदी की दर से विकास दर हासिल किया है. मध्यप्रदेश दूसरे
स्थान पर 8.8 फीसदी व राजस्थान 8.2 फीसदी जबकि राष्ट्रीय स्तर पर जीडीपी
में आठ फीसदी का विकास दर हासिल किया गया है. बीमारू कहे जानेवाले बिहार,
मध्यप्रदेश, राजस्थान व उत्तरप्रदेश की जनसंख्या का 37 फीसदी है जबकि
जीडीपी में इन राज्यों का योगदान महज 20 फीसदी है.
कृषि क्षेत्र में बिहार का योगदान राष्ट्रीय औसत 3.7 से अधिक 4.7 है.
श्री रावत ने माना कि बिहार में विकास में भूमि की उपलब्धता, बिजली और
कच्चे माल की कमी है. सरकार को भूमि बैंक की स्थापना करनी चाहिए. हरियाणा
के गुडगांव में जब मारुति को सस्ते में जमीन दी गयी थी तो शोर मचा था. आज
वहां की स्थिति क्या है? विकास वहां देखा जा सकता है. यह संभव नहीं है कि
कोई बाहर से कच्च माल व बिजली खरीद कर यहां उद्योग की स्थापना करे.