गंभीर सेज डेवलपर्स ही रह पाएंगे मैदान में

खैर नहीं – गैर संजीदा डेवलपर्स के प्रति सरकार सख्त
रुख में बदलाव
सेज के विकास को गंभीरता से न लेने वाले डेवलपर्स को अब ज्यादा समय देने के मूड में नहीं है वाणिज्य मंत्रालय

क्या होना है
कई डेवलपर्स ने 6-7 साल में भी विकास के नाम पर कुछ नहीं किया है, सरकार ऐसे गैर गंभीर सेज की मंजूरी को कर सकती है निरस्त
ऐसे में डेवलपर्स ने अगर सेज विकास के लिए केंद्र या राज्य सरकार से जमीन ली है तो उन्हें वापस करनी होगी भूमि
मंजूरी निरस्त होने की स्थिति में डेवलपर्स को सेज के नाम पर मिलने वाले लाभ से वंचित होना पड़ेगा

विशेष आर्थिक जोन (सेज) को विकसित करने के नाम पर साल-दर साल समय
सीमा में विस्तार लेने वाले डेवलपर्स की अब खैर नहीं। वाणिज्य मंत्रालय सेज
के विकास कार्य को गंभीरता से न लेने वाले डेवलपर्स को अब समय सीमा में
विस्तार देने के मूड में नहीं है।

वाणिज्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजीव अरोड़ा ने इस बात के साफ संकेत
दिए हैं। अब तक देश में कुल 576 सेज को औपचारिक मंजूरी दी जा चुकी है।
इनमें से 392 सेज अधिसूचित हो चुके हैं। लेकिन इस साल अप्रैल तक सिर्फ 170
सेज का संचालन शुरू हो पाया था।

सेज मामलों के कानूनी जानकारों के मुताबिक, सरकार के इस रवैये से बड़ी
संख्या में सेज डेवलपर्स मुश्किल में पड़ जाएंगे। खास कर वैसे डेवलपर्स को
परेशानी होगी जिन्होंने रियल एस्टेट का फायदा उठाने के लिए इस क्षेत्र में
कदम रखा है। दर्जनों सेज ऐसे हैं जो अपनी मंजूरी बरकरार रखने के लिए हर साल
समय सीमा में विस्तार ले रहे हैं।

एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर ईओयू एंड सेज (ईपीसीईएस) के एक कार्यक्रम
में अरोड़ा ने कहा कि गैर गंभीर सेज डेवलपर्स को कई लाइफलाइन (समय सीमा
में विस्तार) देने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि कई सेज
पाइपलाइन में हैं और उनके विकास से निर्यात में बढ़ोतरी की भारी संभावना
है। वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान सेज से होने वाले निर्यात में 34 फीसदी की
बढ़ोतरी हुई थी।

सेज के कानूनी विशेषज्ञ हितेन्द्र मेहता के मुताबिक किसी भी सेज के
विकास के लिए सरकार की तरफ से औपचारिक मंजूरी के दौरान डेवलपर्स को तीन साल
का समय दिया जाता है। उसके बाद उन्हें एक-एक साल का विस्तार दिया जाता है।
लेकिन कई डेवलपर्स ऐसे हैं जिन्होंने 6-7 साल में भी विकास के नाम पर कुछ
नहीं किया है।

मेहता के मुताबिक सरकार ऐसे गैर गंभीर सेज की मंजूरी को निरस्त कर सकती
है। उन्होंने बताया कि मंजूरी निरस्त होने पर डेवलपर्स ने अगर सेज विकास के
लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार से जमीन ली है तो उन्हें जमीन वापस करनी
होगी। साथ ही राज्य सरकार उन डेवलपर्स के खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है।
मंजूरी निरस्त होने पर उन्हें सेज के नाम पर मिलने वाले लाभ से वंचित होना
पड़ेगा।

वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जिन डेवलपर्स की जमीन
अपनी है और उसने भी छह-सात साल में सेज विकास के लिए गंभीरतानहीं दिखाई
है तो उसकी मंजूरी भी समाप्त कर दी जाएगी। उनका कहना है कि सरकार ऐसे
डेवलपर्स को सेज का ठप्पा देने के पक्ष में नहीं है। हालांकि मंजूरी निरस्त
करने से पहले हर मामले की गहन समीक्षा की जाएगी।
 

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