पटना:
मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड की रजनी पंचायत. लगभग 20 हजार की
आबादीवाली इस पंचायत में बिजली नहीं है. बिजली की आस में लोगों ने 10 साल
पहले ही रसीद कटवायी. यहां के सांसद सत्ताधारी दल जदयू के राष्ट्रीय
अध्यक्ष शरद यादव हैं. विधानसभा क्षेत्र बिहारीगंज है, जहां का
प्रतिनिधित्व उद्योग एवं आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ रेणु कुमारी कर रही हैं.
रजनी पंचायत महज बानगी है. राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना
(आरजीजीवाइ) के तहत मधेपुरा जिले में 381 गांवों में विद्युतीकरण का काम
होना था. आठ साल बाद भी बमुश्किल 351 गांवों में विद्युतीकरण का काम हो सका
है. पूरे बिहार में दर्जनों पंचायतों में बिजली नहीं है.
आकलन के अनुसार, राज्य भर में 10 हजार गांव फिलहाल अंधेरे में हैं. अगर
बिहार के सभी गांवों को 24 घंटे बिजली दी जाये, तो उसके लिए करीब नौ हजार
मेगावाट की जरूरत होगी. वैसे राज्य सरकार आगामी पांच साल में सरप्लस स्टेट
होने का दावा कर रही है. पर, बरौनी, कांटी व बाढ़ थर्मल पावर सहित अन्य
बिजली परियोजनाओं का समय से पीछे होना सरकार के दावे पर सवाल उठाते हैं.
विद्युतीकरण का काम धीमा
बिहार में कुल 45 हजार गांव हैं. करीब 14 हजार गांवों में पहले से बिजली
थी. आरजीजीवाइ में 2005-06 से काम शुरू हुआ. योजना में शत-प्रतिशत राशि
केंद्र की होती है. इसमें 90 फीसदी काम के लिए, तो 10 फीसदी अनुदान के तौर
पर उपलब्ध होती है. 22,460 गांवों का चयन हुआ और सरकार 21 हजार गांवों में
बिजली पहुंचाने का दावा कर रही है. इस दावे को सच भी मान लिया जाये, तो 10
हजार गांवों में अब भी बिजली नहीं है. अब सौ से अधिक आबादीवाले टोलों में
बिजली पहुंचाने का दावा राज्य सरकार का है. गांवों में बिजली पहुंचाने के
लिए 38 जिलों की डीपीआर तैयार हो चुकी है. 11 जिलों के लिए 3,130 करोड़ की
योजना की मंजूरी केंद्र सरकार से मिल गयी है. पटना, गया, बांका व रोहतास
जिलों में सभी गांवों के पूर्ण विद्युतीकरण के लिए 1,522 करोड़ पर काम शुरू
हो चुका है. लेकिन, आरजीजीवाइ में अब तक की रफ्तार को देखें, तो यह कहना
मुश्किल नहीं है कि बिहार के सभी गांवों में कब तक बिजली पहुंचेगी. बार-बार
चेतावनी के बावजूद एजेंसियां विद्युतीकरण में तेजी नहीं ला पाती हैं.
कहां से आयेगा पोल-तार
अब तक के विद्युतीकरण की परिभाषा थी कि 11 केवीए की संचरण लाइन, पोल व कम
क्षमता का ट्रांसफॉर्मर चला जाये और 10 फीसदी बीपीएल परिवार को बिजली की
सुविधा उपलब्ध हो जाये, तो उस गांव को विद्युतीकृत मान लिया जायेगा. इस
नीति में पावरग्रिड को 24 जिले, एनएचपीसी को छह जिले व पूववर्ती बिहार
राज्य विद्युत बोर्ड को आठ जिले का जिम्मा दिया गया. योजना में कम क्षमता
के 45459 ट्रांसफॉर्मर लगाये गये. वर्तमान में नौ हजार से अधिक
ट्रांसफॉर्मर जले हुए हैं. 63 केवीए या 100 केवीए के मौजूदा 50 हजार
ट्रांसफॉर्मरों को बदलने में ही सरकार को परेशानी हो रही है.
ट्रांसफॉर्मर की कमी
अगर सभी गांवों में आवश्यकता के अनुसार ट्रांसफॉर्मर लगाये गये,तो वह कहां
से आयेगा. ट्रांसफॉर्मर के जल जाने पर क्या राज्य सरकार की नीति के अनुसार
72 घंटे में उसे बदल दिया जायेगा. राज्य में जजर्र तार के कारण आये दिन
कोई-न-कोई दुर्घटना होती रहती है. 72 हजार किमी तार बदलने का काम अपेक्षित
गति से नहीं चल रही.