सब्सिडी वाले सिलेंडर या किसी अन्य सरकारी लाभकारी योजना का लाभ पाने के
लिए आपको आधार कार्ड बनवाने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को
यह आदेश दिया। इससे सरकार की सभी लोगों को ‘आधार नंबर’ देने की योजना को
तगड़ा झटका लगा है।
अवैध नागरिकों को न मिले: जस्टिस बीएस चौहान और एएस बोब्डे की पीठ ने सरकार
से यह भी कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि आधार कार्ड किसी अवैध नागरिक
को न मिलने पाए। पीठ कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस केएस
पुट्टास्वामी की जनहित याचिका पर विचार कर रही है।
क्यों जरूरी न हो आधार: याचिका में कहा गया है कि लोगों
को विशिष्ट पहचान नंबर (यूआईडी) देने की आधार स्कीम असंवैधानिक है, क्योंकि
इसके बारे में अब तक कोई कानून नहीं बना है।
सरकार का दावा झूठा: याचिका के मुताबिक सरकार भले ही यह
कह रही है कि आधार कार्ड बनवाना आपकी इच्छा पर है, चाहें तो इसे न बनवाएं।
मगर जिस तरह इसे योजनाओं का लाभ लेने के लिए अनिवार्य बताया जा रहा है,
उससे सरकार का दावा झूठा साबित हो रहा है। लोग कई-कई घंटे लाइन में लगकर
आधार नंबर हासिल कर रहे हैं। लोगों को इस बात का डर है कि कहीं यह नंबर न
होने के कारण उन्हें किसी योजना से वंचित न कर दिया जाए।
सुरक्षा को भी खतरा: देश में अवैध रूप से घुसे लोगों को भी पहचान नंबर दिया जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह गंभीर खतरा है।
निजता का उल्लंघन: याचिकाकर्ता ने कहा कि आधार नंबर लेने
वालों से उनकी व्यक्तिगत जानकारी मांगी जा रही है। इसमें उंगलियों के निशान
और पुतली के बायोमीट्रिक प्रिंट लिए जा रहे हैं। ऐसे प्रिंट लेना निजता के
अधिकारों (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन है। इन प्रिंटों का दुरुपयोग नहीं होगा
या ये सरकार के पास सुरक्षित रहेंगे, इस बारे में कोई व्यवस्था/दंड/कानून
नहीं है। जल्दबाजी में सरकारी आदेश से आधार लागू करने का मकसद राजनीतिक लाभ
उठाना है।