नई दिल्ली। दूरसंचार क्षेत्र के नियामक ट्राई ने मोबाइल स्पेक्ट्रम की
अगली नीलामी के लिये पिछली बार के मुकाबले आरक्षित मूल्य में 60 से 80
प्रतिशत की भारी कटौती की सिफारिश की है।
पिछली स्पेक्ट्रम नीलामी में आरक्षित मूल्य काफी ऊंचा होने की वजह से बहुत
कम कंपनियों ने बोली लगाई थी।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण
(ट्राई) ने अखिल भारतीय स्तर पर 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में प्रति मेगाहर्ट्ज
के लिये 1,496 करोड़ रूपये के आरक्षित मूल्य की सिफारिश की है जबकि पिछली
नीलामी में इसके लिये 3,640 करोड़ रूपये की सिफारिश की गई थी।
ट्राई ने
900 मेगाहर्ट्ज के बैंड में दिल्ली के लिये 288 करोड़ रूपये प्रति
मेगाहर्ट्ज, मुंबई के लिये 262 करोड़ रूपये और कोलकाता के लिये 100 करोड़
रूपये प्रति मेगाहर्ट्ज के आरक्षित मूल्य की सिफारिश की है। पिछली नीलामी
में रखे गये आरक्षित मूल्य की तुलना में ये दाम 80 प्रतिशत तक कम हैं।
2जी स्पेक्ट्रम के लिये इससे पहले हो चुकी दो नीलामियों में ज्यादातर
दूरसंचार कंपनियां दूर रहीं थी। उनका कहना था कि नीलामी के लिये आरक्षित
मूल्य काफी ऊंचा रखा गया है।
दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि
सिफारिशें तर्कसंगत हैं और बाजार की वास्तविक स्थिति को देखते हुये की गई
हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इससे न केवल सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, बल्कि
बाजार को उचित मूल्य पर स्पेक्ट्रम प्राप्त होगा और इसका बाजार तथा
दूरसंचार कंपनियों पर अनुकूल असर होगा।’’
ट्राई की इन सिफारिशों पर अब
सरकार विचार करेगी। ट्राई ने कहा है कि स्पेक्ट्रम के व्यापार की अनुमति दी
जानी चाहिये और लाइसेंस समाप्त होने के बाद उसके नवीनीकरण के लिये
स्पेक्ट्रम अलग नहीं रखा जाना चाहिये। नियामक ने कहा है कि बोली लगाने वाली
सभी कंपनियों को एक नजर से देखा जाना चाहिये और लाइसेंस का नवीनीकरण चाहने
वाली कंपनियों को बोली प्रक्रिया के दौरान किसी तरह की कोई रियायत नहीं
दी जानी चाहिये। ट्राई ने कहा है कि नीलामी के जरिये आवंटित सभी तरह के
स्पेक्ट्रम के लिये 1 अप्रैल, 2014 से समान दर से उपयोग शुल्क लगाया जाना
चाहिये।
ट्राई चेयरमैन राहुल खुल्लर से जब यह पूछा गया कि पिछली बार
क्या आरक्षित मूल्य काफी उच्च्ंचा रखा गया था? उन्होंने कहा ‘‘हां …. आप
कृपया इस बात को समझिये कि पिछली बार की तुलना में मूल्य परिस्थितियां इस
बार पूरी तरह बदली हुई हैं।’’
ट्राई ने कहा है कि 1800 मेगाहर्ट्ज में
स्पेक्ट्रम को दो गुणा 200 किलोहर्ट्ज के ब्लॉक में लाया जाना चाहिये और
मौजूदा लाइसेंसधारकों को कम से कम तीन ब्लॉक के लिये बोली लगाने को कहा
जाना चाहिये। नई कंपनियों को दो गुणा 200 किलोहर्ट्ज में कम से कम 25 ब्लॉक
के लिये बोली लगानी चाहिये, ऐसी सिफारिश की गई है।
दूरसंचार नियामक
ने सिफारिश की है कि 900 मेगाहर्ट्ज में दो गुणा एक मेगाहर्ट्ज का ब्लॉक
होना चाहिये और कम से कम पांच ब्लॉक के लिये बोली होनी चाहिये।
आरक्षित मूल्य में कटौती मार्च में हुई असफल नीलामीको देखते हुये की गई। मार्च में आयोजित नीलामी में केवल एक बोली लगाई गई थी।
खुल्लर ने कहा, ‘‘हमने आरक्षित मूल्य में कटौती की है ताकि नीलामी को सफल
बनाया जा सके। यदि आप मुझसे पूछेंगे कि क्या पिछला मूल्य ऊंचा था, मेरा
संक्षिप्त उत्तर होगा, हां।’’
ट्राई ने कहा कि नीलामी में भाग लेने के
लिये योग्यता नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है और मौजूदा कंपनियों
को कोई रियायत नहीं होगी।
सिफारिशों में कहा गया है कि आगामी नीलामी
से पहले दूरसंचार विभाग को स्पष्ट योजना के साथ आगे आना चाहिये। इसमें
भविष्य के लिये उपलब्ध स्पेक्ट्रम, उसकी समयसीमा सभी को स्पष्ट बतायी जानी
चाहिये ताकि कंपनियां सोच समझकर निर्णय ले सकें। खासकर ऐसी कंपनियों
जिन्हें अपने लाइसेंस का 2015…16 में नवीकरण कराना है।
(भाषा)