दावं पर सब, पर रोशन हुआ गांव

। स्कूल के लिए दान की पूरी जमीन, खुद झोपड़ी में रह रहे हैं महावीर।।

उम्मीदें, जुनून हों, तो कदम कहां थमते. कुछ ऐसे ही हैं वैशाली जिले के
निवासी 75 वर्षीय महावीर सहनी. भले ही सातवीं पास हैं, पर उनके विचारों के
आगे बड़े-बड़े डिग्रीधारी भी कमजोर नजर आते हैं. गांव में स्कूल की स्थापना
के लिए उन्होंने अपनी जमीन दान में दी और खुद झोपड़ी में रह रहे हैं. इस
पहल को समाज ने ‘पागलपन’ करार दिया. भला ऐसा कहे भी क्यों न, एक तो आर्थिक
रूप से कमजोर, ऊपर से परिवार में 31 सदस्य, और ऐसा साहसिक कदम. क्या एकांगी
होते समाज में इस बुजुर्ग से हम प्रेरणा ले सकते हैं, खुद के लिए, देश के
लिए. 

।।पप्पू कुमार सिंह, हाजीपुर।। 

75 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति से कोई क्या उम्मीद कर सकता है. शायद यही न
कि बीमारियों से लड़ता हुआ ईश्वर की शरण में परलोक की दुआ मांग रहा हो.
लेकिन महावीर सहनी औरों से भिन्न हैं. सिर्फ अपने लिए नहीं, समाज के लिए
कुछ करने की तमन्ना रखते हैं. तभी तो वैशाली जिले के सहदेई प्रखंड के
लोदीपुर सहनी टोला निवासी महावीर ने अपनी पुश्तैनी जमीन प्राथमिक विद्यालय
की स्थापना के लिए दान कर दी, ताकि शिक्षा की रोशनी से गांव भी रोशन हो
सके.

आसान नहीं थी राह :  पांच बेटे, पांच बहू, 10 पोते व
11 पोतियों वाले महावीर सहनी के लिए पुश्तैनी जमीन पर ही स्कूल बनाने का
काम आसान नहीं था. इस प्रयास को समाज ने शुरुआत में तवज्जो नहीं दी और
उन्हें पागल करार दिया. स्कूल खोलने के लिए शिक्षा विभाग का रोजाना चक्कर
ऊपर से समाज का ताना.

संपन्न वर्ग के लोगों व्यंग्य कि स्कूल खुल भी गया तो क्या होगा. बंधेगी
तो बकरी और भैंस ही. पर महावीर के कदम थमे नहीं. अंतत: शिक्षा विभाग ने
सहनी को स्कूल बनाने की इजाजत दे दी. नौ मई, 2007 इस क्षेत्र के लिए
ऐतिहासिक दिन था, जब सहनी टोला में स्कूल खुला. नाम रखा गया नवसृजित
प्राथमिक विद्यालय, लोदीपुर, सहनी टोला. 

सुकून मिलता है : आज इस स्कूल में सहनी टोला ही नहीं,
आस-पास के बच्चे भी पढ़ते हैं. महावीर कहते हैं, जब बच्चों के कदमों की आहट
को विद्यालय में सुनता हूं, तो उम्मीदें और जवां हो जाती है. स्कूल के
भविष्य को लेकर थोड़ी चिंता है, क्योंकि सुविधाएं बढ़नी चाहिए. स्कूल कैंपस
के गड्ढे की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि अनहोनी से बचने के लिए इसे भरा
जाना चाहिए. विधायक से लेकर मुखिया तक के पास गया, पर हल नहीं निकला.

तंगी में पूरा परिवार  : नवसृजित प्राथमिक विद्यालय,
लोदीपुर को खुले तकरीबन छह साल हो गये, लेकिन स्कूल की हसरत को पूरी करने
में महावीर सहनी का पूरा परिवार आर्थिक मोरचे पर बैक फुट पर आ गया. घर में
31 लोग हैं, लेकिन स्कूल के इस भूमि दाता के परिवार के पास सोने के लिए ठीक
से जगह तक नहीं है. दरवाजे पर घास-फूस की झोपड़ी तथा अंदर टूटे छप्परों के
नीचे किसी तरह सर छुपाने की थोड़ी सी जगह.

 

डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनी : महावीरके इन प्रयासों
पर एक फिल्म बनी है. ‘साइलेंट रिवोल्यूशन’ नामक यह फिल्म बताती है कि कैसे
अति पिछड़े समुदाय से आने वाले एक व्यक्ति ने शिक्षा की अलख जगायी. फिल्म
निर्माता विवेकचंद्र कहते हैं, आत्मकेंद्रित होते समाज में यह पहल समाज के
लिए प्रेरणास्रोत है.

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