रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने अपने आखिरी भाषण में सरकार पर जमकर अपनी भड़ास निकाली।
विकास
दर में सुस्ती के लिए बार-बार रिजर्व बैंक पर लगने वालों आरोपों को सिरे
से खारिज करते हुए डॉ. सुब्बाराव ने कहा कि अर्थव्यवस्था में कमजोरी रिजर्व
बैंक की नीतियों के चलते नहीं आई है बल्कि इसके लिए सरकार की नीतियों में
खामियां और आपूर्ति में बाधाएं जिम्मेदार हैं।
सुब्बाराव ने कहा कि
रिजर्व बैंक की सख्त मौद्रिक नीतियों के चलते आर्थिक विकास दर नरम नहीं
पड़ी बल्कि सरकार की नीतियां, आपूर्ति संबंधी बाधाएं और गवर्नेंस में
खामियों के चलते विकास दर में गिरावट आई है।
सुब्बाराव ने ब्याज
दरों में बढ़ोतरी के फैसलों का समर्थन करते हुए कहा कि आर्थिक विकास को
ध्यान में रखते हुए ऐसे कदम उठाने अनिवार्य थे। वर्ष 2009-2012 में सरकार
के बढ़ते खर्चे ने रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीतियों पर लगाम लगाई।
डॉलर
के मुकाबले कमजोर होते रुपए पर गवर्नर सुब्बाराव ने कहा कि आरबीआई ने
विनिमय दरों को लेकर किसी स्तर का लक्ष्य नहीं निर्धारित किया है। आरबीआई
का मकसद रुपए में आ रहे भारी उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाना है।
उन्होंने
कहा कि आरबीआई कैपिटल कंट्रोल या कैपिटल अकाउंट उदारीकरण को कम करने में
इच्छुक नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी आशंका जताई कि इस साल भी चालू खाता
घाटा उच्च स्तर पर बना रहेगा।