नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। ग्रामीण क्षेत्रों में कूड़े-कचरे के
प्रबंधन व निपटान के लिए सरकार ने पहली बार नायाब पहल करते हुए हर गांव को
एकमुश्त वित्तीय मदद देने का फैसला किया है। आबादी के हिसाब से हर गांव को
न्यूनतम सात लाख और अधिकतम 20 लाख रुपये की वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई आर्थिक
मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति [सीसीईए] की बैठक में संपूर्ण स्वच्छता
अभियान का नाम बदलकर निर्मल भारत अभियान कर दिया गया। साथ ही ग्रामीण
क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन के लिए गांवों को मदद देने के प्रस्ताव पर मुहर
लगा दी गई। खुले में शौच करने की प्रवृत्ति खत्म करने के लिए ग्रामीण
क्षेत्रों में प्रत्येक शौचालय बनाने पर दी जाने वाली वित्तीय मदद को
दोगुने से भी अधिक बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया गया है।
सीसीईए की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वच्छता अभियान को उन
200 जिलों में प्राथमिकता के तौर पर चलाने की बात कही, जिनमें कुपोषण की
समस्या सबसे अधिक है। निर्मल भारत अभियान का लाभ सिर्फ बीपीएल [गरीबी रेखा
से नीचे] परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा। अब इसका लाभ सभी परिवारों को दिया
जा सकेगा। गरीब परिवारों को प्राथमिकता जरूर दी जाएगी। सीसीईए में यह भी
निर्णय लिया गया कि इंदिरा आवास योजना के मकानों में शौचालय अनिवार्य रूप
से बनाए जाएंगे। योजना में घर बनाने की लागत को भी बढ़ाने का प्रस्ताव है।
कहां कितने निर्मल गांव
राज्य – कुल संख्या – निर्मल ग्राम
उत्तर प्रदेश – 52,000 – 1,080
बिहार – 8,474 – 217
झारखंड – 4,464 – 225
हरियाणा – 6,500 – 1600
ग्रामीण शौचालय [किसका कितना हिस्सा]
पहले – अब
केंद्र सरकार – 2100 – 3200
राज्य सरकार – 1000 – 1400
लाभार्थी – 300 – 900
मनरेगा – 1200 – 4500