चुनाव से पहले रौशन होंगे गांव

नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। आगामी आम चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार
गांव वालों को लुभाने के लिए एक और दांव खेलने जा रही है। जनता को सीधे
हाथों में सब्सिडी और खाद्य सुरक्षा देने के बाद अब गांवों में ज्यादा से
ज्यादा बिजली देने की तैयारी है। खास तौर पर गांवों में गरीबों के घरों को
रौशन करने पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए राजीव गांधी ग्रामीण
विद्युतीकरण योजना [आरजीजीवीवाइ] में महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। सरकार
की मंशा आगामी चुनावों से पहले यह सुनिश्चत करना है कि स्कीम के तहत जुड़े
गांवों व घरों को पर्याप्त बिजली मिल सके।

बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दैनिक जागरण को बताया कि
आरजीजीवीवाइ को बेहतर बनाने के लिए कई स्तरों पर बदलाव किया जा रहा है।
बिजली देने के लिए न गांवों में कोई भेदभाव होगा और न ही जनता में। सौ की
आबादी वाले गांवों को भी पर्याप्त बिजली देने की व्यवस्था होगी। इसकी
निगरानी के तरीके में भी बदलाव लाया जाएगा। अभी जितने गांवों में बिजली
कनेक्शन दिया जाता है, उनकी सत्यता जांचने के लिए दस फीसद गांवों में
निरीक्षण [ऑडिटिंग] होती है। लेकिन अब 25 फीसद कनेक्शन के निरीक्षण का
प्रावधान किया जाएगा। साथ ही मौजूदा प्रावधान के मुताबिक जितने गांवों में
निरीक्षण किया जाता है, उनमें रहने वाले दस फीसद गरीबी रेखा के नीचे रहने
वाले परिवारों [बीपीएल] में कनेक्शन की स्थिति की जांच की जाती है। अब 25
फीसद बीपीएल परिवारों को निरीक्षण में शामिल किया जाएगा।

सिंधिया ने बताया कि अब इस स्कीम के तहत बिजली लाइन से जुड़ चुके गांवों
व घरों को ज्यादा से ज्यादा बिजली आपूर्ति करने पर जोर होगा। आजादी के 60
वर्षो बाद भी बिजली की पहुंच से बाहर रहने वाले 1,12,975 गांवों में से
1,07,415 गांवों को बिजली से जोड़ा जा चुका है। इसी तरह से देश के कुल 2.77
करोड़ बीपीएल परिवारों में से 2.09 करोड़ को बिजली मिल चुकी है। अब सरकार इन
सभी को पर्याप्त बिजली देने की कोशिश करेगी। इसके लिए 12वीं योजना के दौरान
ही इस पर 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। स्कीम को लागू करने केंद्र
राज्यों को कुल लागत का 90 फीसद अनुदान देती है, जबकि शेष राशि बतौर कर्ज
मुहैया कराया जाता है। आरजीजीवीवाइ से जुड़े बड़े स्कीमों को छोटे-छोटे
हिस्सों में अब बांट कर लागू किया जा रहा है ताकि इनकी निगरानी ज्यादा
बेहतर तरीके से हो सके। इससे जले हुए ट्रांसफार्मरों को बदलने का काम भी
तेज हो सकेगा।

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