रत्नों के धंधेबाजों का भांडा फोड़ने वाले थे नरेन्द्र दाभोलकर

पुणे। अपनी हत्या के पहले सामाजिक आंदोलनकारी नरेंद्र दाभोलकर ने एक और
भंडाफोड़ू मुहिम की योजना बनाई थी। वे नामनिहाद ज्योतिषियों के रत्नों और
‘पत्थरों’ के जबरदस्त कारोबार के खिलाफ अभियान छेड़ना चाहते थे, ताकि लोगों
को इनकी असलियत का पता चल सके। पुलिस को शक है कि इस गोरखधंधे से जुड़े लोग
भी वारदात में शामिल हो सकते हैं।

गुरुवार को उनकी संस्था महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (मानस) के
पुणे जिला  अध्यक्ष राजेंद्र कांकरिया ने भी यह खुलासा करते हुए बताया कि
दाभोलकर ने बीते दिनों सभी जिला स्तरीय समितियों से कहा था कि सितंबर में
वे ज्योतिष और चमत्कार के नाम पर रत्न-मणियों का धंधा करने वालों के खिलाफ
अभियान छेड़ें। 12 अगस्त को संस्था की ओर से जो बयान जारी किया गया, उसमें
इस भरमाने वाले कारोबार के बारे में लोगों का ध्यान खींचा गया था। कांकरिया
का दावा है कि सिर्फ पुणे में ही यह धंधा पचास करोड़ रुपए से ज्यादा का हो
सकता है।
उन्होंने कहा कि संस्था की पिंपरीच्ािंचवाड़ इकाई ने 1984 में
तिलस्मी उपचार वाले पत्थरों के बारे में ऐसा ही एक मामला उठाया था।
उन्होंने दभोलकर से कहा था कि अचानक इस धंधे या कारोबार पर लगाम लगाने के
लिए इस मुद्दे को उठाया जाए और लोगों को जगाया जाए।
उन्होंने बताया कि
अवैध कारोबार करने वाले लोग घटिया किस्म के रत्न-पत्थर  गुजरात और मुंबई
में 200 रुपए किलों के हिसाब से खरीद लेते हैं। बाद में इन्हें चमकाकर,
पॉलिश करके चमत्कारी तावीज और अन्य रूप में कई गुने दामों में बेचा जाता
है। इन नकली रत्नों को कारोबारी 2000 से 50 हजार तक में बेचते हैं।
सूत्रों
से मिली जानकारी के अनुसार, दाभोलकर ने इस कारोबार की असलियत बताने के लिए
अभियान की तैयारी पूरी कर ली थी और गणपति उत्सव के बाद यह अभियान छेड़ा
जाने वाला था। उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा था कि वे ज्योतिष के धंधे को
परवान चढ़ाने वाले इस काले कारोबार के खिलाफ सबूत और शिकायतें जमा करें।
कांकरिया का कहना है कि अब हम इस मामले को उठाने जा रहे हैं और यही दाभोलकर साहब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बहरहाल
इस बात की आशंका है कि अपराधियों को उनके भावी मुहिम की भनक लग गई होगी और
शायद रत्न और पत्थर का फर्जी धंधा करने वालों की निगाह में वे चढ़ गए
होंगे। स्थानीय पुलिस भी इस आशंका की तह में जाने में लगी है।   
जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, हम अब भी सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं जिसमें मोटरसाइकिल पर सवार केवल दो लोगों के चित्र दिखाई
दे रहे हैं। लेकिन फुटेज धुंधला और अस्पष्ट है और इससे लोगों की पहचान नहीं
हो पा रही। घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया था कि 25 से 30 साल की आयु
तक के दो युवक 60 साल के दाभोलकर को गोलियां मारने के बाद मोटरसाइकिल पर
सवार हो घटनास्थल से फरार हो गए। पुलिस वाहन का पता लगाने के लिए
प्रत्यक्षदर्शी के बताए नंबर प्लेट के विवरण की भी पुष्टि कर रही है।
उन्होंने कहा,जांच जारी है और इस हत्या में संलिप्तता के संबंध में अभी तक
किसी व्यक्ति या संगठन की पहचान नहीं की गई है।
सूत्रों के अनुसार, 
पुणे पुलिस अपराध शाखा ने हत्यारों को पकड़ने के लिए आठ दल गठित किए हैं।
हत्या के 48 घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी हत्यारे अब भी पुलिस की
गिरफ्त से बाहर हैं। इस बीच मुंबई पुलिस का एक दल पुणे पुलिस को जांच में
‘तकनीकी सहायता’ मुहैया कराने के लिए शहर पहुंच गया।
महाराष्ट्र के
मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने दाभोलकर की हत्या के बारे में जानकारी
देने वाले व्यक्ति को 10 लाख रुपए का पुरस्कार देने का एलान किया है।
वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाने वाले नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के लिए
अंधविश्वास विरोधी विधेयक के विरोधियों को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने
कहा है कि ऐसे कृत्य के पीछे जिन संगठनों का हाथ है, उन्हें अलग-थलग किया
जाना चाहिए और उनकी गतिविधियां रुकनी चाहिए।
गौरतलब है कि राज्य सरकार
ने दाभोलकर की हुई हत्या पर जनाक्रोश को देखते हुए काला जादू व अमानवीय
धार्मिक रीति-रिवाजों पर अंकुश लगाने के लिए बुधवार को एक अध्यादेश लाने के
प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। चव्हाण ने कहा, जो ताकतें नहीं चाहती हैं कि
यह विधयेक पेश हो और पास होकर कानून बने, वे उन्हें चुप कर देने के लिए
जिम्मेदार हैं। जिन्होंने दाभोलकर को निशाना बनाया, वे राजनीतिक संगठन नहीं
हैं। यह वैचारिक विसंगति है। जिन लोगों ने ऐसी हत्याएं की हैं, वे
राजनीतिक दल नहीं हैं।
इस बीच पुलिस ने प्रत्यक्षदर्शी के विवरण के
अनुसार दो संदिग्धों में से एक का स्केच बनवाकर उसे सभी जगह भिजवा दिया है।
सूत्रों ने बताया कि जांचकर्ता इस संभावना की भी जांच कर रहे हैं कि
हत्यारों ने दाभोलकर का मुंबई से ही पीछा किया होगा जहां से वे मंगलवार
सुबह यहां आए थे। पुलिस दलों को सतारा जिले और इससे जुड़े सांगली में भी
भेजा गया है। दाभोलकर सतारा के ही रहने वाले थे।
(ईएनएस)

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