कंसोर्टियम ऑफ
इंडियन फार्मिंग एसोसिएशन (सीफा) समेत किसान संगठनों ने जेनेटिकली
मॉडीफाइड (जीएम) फसलों का समर्थन किया है और उन्हें प्रगति के लिए आवश्यक
बताया है।
इन संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पांच सदस्यीय तकनीकी
विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों का विरोध किया है, जिसने नियामक संबंधी कमियां
दूर होने तक जीएम फसलों का फील्ड ट्रायल बंद रखने की सिफारिश की है।
सीफा के महासचिव चेंगाल रेड्डी ने एक बयान में कहा कि जीएम फसलों की
अनेक समस्याओं का समाधान हो जाता है। हमें बायोटेक्नोलॉजी की आवश्यकता है।
किसानों को खेती करने के तरीके चुनने की आजादी दी जानी चाहिए। समिति की
सिफारिशों के खिलाफ किसान संगठनों ने यहां जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया।
रेड्डी ने अपने भाषण में विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों का कड़ा विरोध
किया। इस प्रदर्शन में शेतकारी संगठन, पीएयू किसान क्लब, नौजवान किसान
क्लब, नागार्जुन रिथ्यू समाख्या, प्रताप रुद्र फार्मर्स म्युचुअली एडेड
को-ऑपरेटिव क्रेडिट एंड मार्केटिंग फेडरेशन ने भी हिस्सा लिया।
पीएयू किसान क्लब के सचिव पी. एस. पांगली ने कहा कि भारतीय किसानों को
बायोटैक्नोलॉजी का लाभ उठाने से वंचित करना उचित नहीं है। यह देश के लिए
ठीक नहीं है कि खेती से ज्यादा उपज हासिल करने से रोका जाए।
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि किसानों को बीज चुनने की आजादी
दी जानी चाहिए। आने वाले वर्षों में सीमित संसाधनों से बढ़ती खाद्य
पदार्थों की मांग पूरी करने में बायोटेक्नोलॉजी सहायक साबित होगी।
इस बीच कुछ वैज्ञानिकों ने भी सुप्रीम कोर्ट से विशेषज्ञ समिति की
सिफारिशें स्वीकार न करने की अपील की है। अमेरिका की आयोवा स्टेट
यूनीवर्सिटी में बायोसेफ्टी इंस्टीट्यूट के शांतु शांताराम ने आरोप लगाया
कि विशेषज्ञ समिति ने जीएम फसलों पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने वाली
रिपोर्ट पेश की है।