पटना:
राज्य के कई हिस्सों में बुधवार को बारिश तो हुई, लेकिन जो नुकसान होना था
वह हो चुका. सूखे से निबटने के लिए मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा की
अध्यक्षता में गठित क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार राज्य
के 38 में 20 जिले सूखे की चपेट में हैं. इनमें आठ जिले गया, बांका, जमुई,
नालंदा, नवादा, अरवल, जहानाबाद और औरंगाबाद में तो स्थिति विकराल है. इन
जिलों में धान की रोपनी 50 प्रतिशत से भी कम हुई है. गया और बांका में तो
30 प्रतिशत ही रोपनी हो पायी है. रिपोर्ट के अनुसार, पूरे राज्य में अब तक
74 प्रतिशत ही रोपनी हुई है. हालांकि, नहरवाले इलाकों की स्थिति कमोवेश ठीक है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक,
करीब 14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नहरों से पानी पहुंचाया गया है. लेकिन,
पानी की कमी वाले करीब 11 लाख हेक्टेयर में लगे धान के पौधे पीले पड़ने लगे
हैं. सूखे का असर मध्य बिहार में अधिक है. कृषि विभाग की सूचना के अनुसार,
अररिया, सुपौल, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और किशनगंज को छोड़ बाकी
के 33 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. धान का कटोरा कहे जानेवाले
शाहाबाद के तीन जिले भोजपुर, बक्सर और कैमूर जिले के 29 प्रखंडों में सूखे
की स्थिति है. इन इलाकों में 77 प्रतिशत ही रोपनी हो पायी है. सरकार ने
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से कृषि वैज्ञानिकों को भेजने को कहा है.
सरकारी आंकड़ों में गया, जमुई, लखीसराय, मुंगेर, पटना, शेखपुरा, नवादा,
बांका, जहानाबाद, औरंगाबाद और भागलपुर जिलों में 50 प्रतिशत ही रोपनी हुई
है. मध्य बिहार के गया और नवादा में 25 प्रतिशत से भी कम रोपनी हुई है.
राज्य में इस बार खरीफ मौसम में 34 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की रोपनी
का लक्ष्य था. कृषि विभाग को 20 अगस्त तक मिली रिपोर्ट के अनुसार, 25 लाख
हेक्टेयर भूमि पर ही रोपनी हो पायी है. इस रिपोर्ट के अनुसार, पूरे राज्य
में सामान्य से 28 प्रतिशत कम वर्षा हुई. अब तो कृषि वैज्ञानिक भी
स्वीकारते हैं कि धान की खेती को नुकसान पहुंचा है. जिन इलाकों में धान के
पौधे नहीं लगे, वहां मक्केकी खेती पर जोर दिया जा रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार 17 जिलों में एक जून से पांच अगस्त तक 60 प्रतिशत से
कम वर्षा हुई है. कम वर्षा वाले जिलों में गया, लखीसराय, नवादा, सीतामढ़ी,
वैशाली, शिवहर, पटना , नालंदा, जहानाबाद, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर,
शेखपुरा, सहरसा, बक्सर, खगड़िया और कैमूर शामिल हैं. 31 जुलाई तक के
आंकड़े के अनुसार, 534 प्रखंडों में 313 में 40 प्रतिशत से कम वर्षा हुई
है. 237 प्रखंड ऐसे हैं, जहां धान की रोपनी 40 प्रतिशत से कम हुई. 117
प्रखंडों में धान और मक्केकी बुआई 40 प्रतिशत से कम हुई है. सरकार ने खेतों
में पानी पहुंचाने के लिए आठ घंटे बिजली उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है.
पर, जिलों में इसका शत-प्रतिशत लाभ किसानों को नहीं मिल रहा. करीब 10 हजार
गांवों में अब भी बिजली नहीं पहुंच पायी है. जिन गांवों में बिजली है, वहां
बकाये की वसूली अलग समस्या बन रही है. प्रति एकड़ढाई सौ रुपये डीजल
सब्सिडी की भी घोषणा की गयी है. किसानों को 25 रुपये प्रति लीटर की दर से
एक एकड़ के लिए अनुदानित दर पर 10 लीटर डीजल मिल सकेंगे. अनुदान दो बार
बिचड़ा के लिए और तीन बार रोपनी के बाद मिलेगा.