नई दिल्ली. केंद्र
सरकार के रिकॉर्ड में शहीद भगत सिंह को औपचारिक तौर पर शहीद का दर्जा नहीं
है। यह जानकारी आरटीआई में गृह मंत्रालय ने दी है। भगत सिंह के पोते (भाई
के पोतेे) यादवेंद्र सिंह ने आरटीआई में सूचना मांगी थी।
यादवेंद्र सिंह ने बताया कि अप्रैल में आरटीआई के माध्यम से उन्होंने
स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद घोषित किए जाने के
बारे में जानकारी मांगी थी। मई में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूचना अधिकारी
शामलाल मोहन ने जवाब में कहा कि तीनों को शहीद घोषित किए जाने से संबंधित
कोई भी दस्तावेज उनके पास नहीं है।
भगत सिंह…
सरकार ने इस मामले में क्या किया है। इसके विषय में भी मंत्रालय के पास
कोई जानकारी नहीं है। सिंह ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने गृहसचिव से
मिलने का समय मांगा था। लेकिन अभी तक उन्हें समय नहीं मिला है।
अब शहीद राजगुरु और सुखदेव के परिजनों के साथ वे राष्ट्रपति प्रणब
मुखर्जी से मिलने जाएंगे। उनसे भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग
की जाएगी।
रक्षा मंत्रालय घोषित करता है शहीद : गृहमंत्रालय के सूत्रों का
कहना है कि शहीद का दर्जा गृह मंत्रालय नहीं देता है। केवल रक्षा मंत्रालय
में ही सैनिकों को शहीद घोषित करने की नीति है। उत्तराखंड में हेलिकॉप्टर
हादसे में 20 जवान मारे गए थे। इनमें से वायु सेना के 5 जवानों को शहीद
घोषित कर दिया गया है। जबकि आईटीबीपी के 15 जवानों को यह दर्जा नहीं दिया
गया है।
शहादत किसी रिकॉर्ड की मोहताज नहीं
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नेकहा कि भगत सिंह या किसी अन्य शहीद की शहादत
किसी सरकारी रिकॉर्ड की मोहताज नहीं है। प्रधानमंत्री ने एक बयान जारी करते
हुए कहा कि पूरा देश जानता है कि देश को आजाद कराने में स्वतंत्रता
सेनानियों ने अपनी जान कुर्बान कर दी है। उसी की बदौलत आज देश स्वतंत्र है।
यही तथ्य है। उन्होंने कहा, इस पूरे विवाद ने देश को आहत किया है।
उन्होंने कहा कि लोग इसे मुद्दा नहीं बनाएं। शहीदों की कुर्बानी पर हमें
गर्व है और वे हमारी राष्ट्रीय विरासत हैं।