जयपुर । गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद्य सुरक्षा
अध्यादेश के संबंध में राज्य सरकार को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि
खाद्य सुरक्षा अध्यादेश आम आदमी की बेसिक जरूरतें पूरी नहीं करता। ऐसे में
राज्य सरकार इसे किस रूप में लागू करने जा रही है। क्या सरकार इसे लागू
करते समय केंद्र के सामने ऐसे सवाल खड़े करेगी?
इस पत्र के संबंध में मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू ने तुरंत ही कार्रवाई
करते हुए खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव से कहा है कि मोदी की ओर से उठाए गए
सभी बिंदुओं पर वे तुरंत ही अपनी राय व्यक्त करें। मोदी ने पत्र में लिखा
है कि अध्यादेश में कई बातें ऐसी हैं, जो राज्य सरकारें उससे ज्यादा पहले
से ही कर रही हैं। ऐसे में अध्यादेश लागू होने से तो लोगों को सुविधाएं कम
ही होंगी।
क्या करेगी राज्य सरकार : मोदी ने इन बिंदुओं को उठाते हुए
राजस्थान सरकार से पूछा है कि वे ऐसी स्थिति में क्या कदम उठाने पर विचार
कर रहे हैं। क्या इन बिंदुओं के रहते राज्य सरकार ऐसे ही इसे लागू करने जा
रही है।
पत्र में यह लिखा मोदी ने
: केंद्र ने गांवों और शहरों में खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत आने वालों की
संख्या निश्चित कर दी है। यह काम राज्यों पर छोड़ा जाना चाहिए था।
: सरकार ने अध्यादेश में संसद की स्थाई कमेटी की सिफारिशों को भी नजरअंदाज कर दिया। इसमें प्रत्येक राज्यवार कई अच्छे सुझाव थे।
:गुजरात सरकार पहले से ही प्रत्येक बीपीएल परिवार को 35 किलो अनाज दे रही
है। अध्यादेश लागू किया तो इसमें 10 किलो की कमी हो जाएगी। उन्होंने पूछा
है कि राजस्थान सरकार ऐसे में क्या करने जा रही है।
:उन्होंने यह भी मामला उठाया कि प्रत्येक व्यक्ति को न्यूनतम 2500 कैलोरी
प्रति दिन की आवश्यकता होती है। केंद्र सरकार केवल 165 ग्राम प्रति दिन
अनाज देकर केवल 500 कैलोरी प्रतिदिन ही देना चाहती है।
: दाल और अनाज मिलाकर मिड डे मील में प्रतिदिन 180 ग्राम भोजन दिया जाता
है। एक वयस्क व्यक्ति के लिए दो समय का भोजन केवल 165 ग्राम कैसे फिजिबल
है। यह अध्यादेश न्यूट्रिशन सिक्योरिटी नहीं देता।