सूरते हाल
मार्केटिंग वर्ष 2012-13 के दौरान देश का कॉटन निर्यात निर्यात घटकर 9.8 मिलियन बेल्स रह गया
मार्केटिंग वर्ष 2011-12 के दौरान 14.17 मिलियन बेल्स का निर्यात किया गया था।
पिछले महीने समाप्त हुए 2012-13 मार्केटिंग वर्ष के दौरान देश के
कॉटन निर्यात में 31 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इस अवधि के दौरान कॉटन
निर्यात घटकर 9.8 मिलियन बेल्स रह गया। हालांकि समान अवधि के दौरान आयात
बढ़कर 1.47 मिलियन बेल्स के स्तर पर पहुंच गया।
कहा जा रहा है कि आने वाले महीनों में भारत का कपास आयात और बढ़ सकता
है। अमेरिका का कृषि विभाग ने कहा है कि इससे पहले मार्केटिंग वर्ष 2011-12
के दौरान 14.17 मिलियन बेल्स का निर्यात किया गया था।
मुख्य रूप से चीन, बांग्लादेश और वियतनाम को कॉटन को निर्यात किया जाता
है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आयात का 60 फीसदी जुलाई महीने में किया गया
जो पश्चिमी अफ्रीका से किया गया। अनुमान जताया जा कहा जा रहा है कि देश के
कपड़ा मिलों को अपनी जरूरत पूरी करने के लिए कॉटन का आयात करना पड़ेगा।
इसके कारण आने वाले कुछ महीनों के दौरान कॉटन का आयात बढ़ सकता है। कॉटन
कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया अपना पचास फीसदी स्टाक बाजार में बेच चुका है इसलिए
आने वाले कुछ महीनों में आयात में तेजी आने की बात कही जा रही है।
सीसीआई अपने स्टाक में से 1.2 मिलियन बेल्स की बिक्री कर चुका है और अभी
उसके पास 1.1 मिलियन बेल्स बाकी है। हालांकि 2012-13 के लिए भारत में कपास
की वार्षिक खपत 28.81 मिलियन होने का अनुमान लगाया गया था लेकिन दिसंबर
2011 के बाद से हर महीने औसत रूप से दो मिलियन बेल्स की खपत हो रही है।
व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि घरेलू बाजार में कपास की मांग में
मजबूती बनी हुई है। मध्यम दर्जे की मिलों के सितंबर तक अपनी पोजीशन क्लियर
करने की संभावना है वहीं बड़ी मिलों में लिक्विडिटी की कमी का सामना करना
पड़ रहा है।