जनसत्ता ब्यूरो, नई दिल्ली। कार्मिक, लोक
शिकायत व पेंशन राज्य मंत्री वी नारायणसामी के निचले सदन में यह विधेयक पेश
किया जाएगा।
राजनीतिक दलों को पारदर्शिता कानून के दायरे से बाहर रखने के लिए सरकार
सोमवार को लोकसभा में आरटीआइ अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश करने
की तैयारी में है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक अगस्त को राजनीतिक दलों को
छूट प्रदान करने के लिए आरटीआइ अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी
दे दी थी।
गौरतलब है कि केंद्रीय सूचना आयोग के करीब दो महीने पहले छह
राजनीतिक दलों कांग्रेस, भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, माकपा, भाकपा
और बसपा को आरटीआइ अधिनियम के दायरे में लाए जाने का आदेश दिया था। उसके
बाद कैबिनेट ने अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई थी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार राजनीतिक दलों को सुरक्षा मुहैया करने के
मकसद से अधिनियम की धारा-2 में संशोधन का भी प्रस्ताव कर सकती है जो लोक
प्राधिकार की व्याख करता है। प्रस्तावित संशोधन यह स्पष्ट करेंगे कि लोक प्राधिकार में जन
प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को शामिल नहीं किया
जाना चाहिए। सीआइसी ने अपने तीन जून के आदेश में कहा था कि छह राजनीतिक
दलों को परोक्ष रूप से केंद्र सरकार से धन मिलता है। लिहाजा उन्हें जन
सूचना अधिकारियों की नियुक्ति करने की जरूरत है क्योंकि आरटीआइ अधिनियम के
तहत वे लोक प्राधिकार के तरह की हैं। पारदर्शिता निगरानी संस्था के इस आदेश
पर राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। विशेष रूप से कांग्रेस ने
इसे लेकर कड़ा रवैया जाहिर किया था। जबकि कांग्रेस को ही पारदर्शिता कानून
लाने का श्रेय भी जाता है।
के रूप में काम करने वाले कार्मिक मंत्रालय ने विधि मंत्रालय के साथ
विचार-विमर्श के बाद आरटीआइ अधिनियम में संशोधन का फैसला किया। यह सभी
राजनीतिक दलों से आम सहमति पर आधारित था।