नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की
प्रतिष्ठा का प्रश्न बने खाद्य सुरक्षा विधेयक के पूरे कागजात तक अभी तैयार
नहीं है। इसीलिए, वादे के बावजूद मंगलवार को यह विधेयक संसद में पेश नहीं
किया जा सका। अब खाद्य मंत्रालय में अधिकारी दिन-रात कागजात पूरे करने में
जुटे हैं, ताकि बुधवार को इसे सदन में पेश किया जा सके।
कांग्रेसी नेता एक ओर तो खूबियां गिनाते हुए विधेयक का चौतरफा ढिंढोरा
पीट रहे हैं, वहीं जब विधेयक को संसद में रखने का मौका आया तो सरकार की
लापरवाही आड़े आ गई। संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने स्पष्ट किया कि खाद्य
मंत्रालय से विधेयक के कुछ दस्तावेज तैयार नहीं हो पाए हैं। इसी वजह से
विधेयक को सदन की कार्यसूची में दर्ज नहीं किया जा सका है।
खाद्य सुरक्षा विधेयक को लोकसभा में पेश करने के उद्देश्य से ही खाद्य
मंत्री केवी थामस ने सोमवार को सदन में जहां अध्यादेश को वापस लेने के लिए
रखा, वहीं एक विस्तृत बयान भी दिया। थामस ने अपने बयान में खाद्य सुरक्षा
लागू करने के लिए अध्यादेश लाने का औचित्य गिनाया। लेकिन जब संसद में
विधेयक पेश करने की बारी आई तो बताया गया कि खाद्य मंत्रालय अभी तक जरूरी
कागजात तैयार नहीं कर सका है। दरअसल इसी तरह की जल्दबाजी में खाद्य सुरक्षा
के लिए अध्यादेश भी जारी किया गया था।
खाद्य मंत्री थामस ने सोमवार को जारी अपने बयान में विधेयक पारित कराने
की जल्दी की वजह भी बताई। विधेयक की जरूरत और उससे लोगों को होने वाले लाभ
भी बताए गए। कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र में शामिल इस योजना को अमली
जामा पहनाने में चार साल से अधिक का समय लग चुका है। आगामी संसदीय चुनाव
में इसका राजनीतिक लाभ लेने की जुगत में दिन-रात एक किए हुए है।
सूत्रों के मुताबिक खाद्य मंत्रालय में खाद्य सुरक्षा विधेयक के
दस्तावेजों को तैयार करने को लेकर हायतौबा मची हुई है। विधेयक के कुछ
प्रावधानों पर कानून मंत्रालय ने एतराज जताते हुए अपनी टिप्पणी दी थी।
बताते हैं कि खाद्य मंत्रालय उसके अनुरूप कागजात तैयार करने में नाकाम रहा
है। विधेयक के प्रावधानों को अंतिम रूप देते समय कानून मंत्रालय की टिप्पणी
आड़े आई, जिसके चलते विधेयक तैयार नहीं हो सका। मंत्रालय के एक वरिष्ठ
अधिकारी के मुताबिक भले ही पूरी रात काम करना पड़े, लेकिन विधेयक को अंतिम
रूप देकर बुधवार तक सदन की कार्यवाही सूची में दर्ज करा दिया जाएगा।