सागर (मप्र)। देश में यह मानने वालों की तादाद में दिनों-दिन इजाफा होता दिख रहा है कि भ्रष्टाचार व्यवस्था की रग-रग में समा गया है, यहां तक कि इस व्यवस्था को चलाने वाले अधिकारी भी यह मानने लगे हैं कि देश के प्रशानिक ढांचे के आधे से ज्यादा अफसर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
यह खुलासा उन सवालों के जवाबों से हुआ है, जो मप्र के डा. हरिसिंह गौर केन््रदीय विश्वविद्यालय के राजनीति एवं लोक प्रशासन विभाग के एक शोधार्थी को उसके प्रशासनिक कार्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार संबंधी शोधकार्य के दौरान पूछे गए थे।
मप्र के सागर जिले के विशेष संदर्भ में वर्ष 2008 से मप्र की उच्च शिक्षण संस्थाओं एवं प्रशासनिक कार्यालयों में अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार का अन्वेषणात्मक अध्ययन विषय पर शुरु किए गए शोध कार्य को पूरा करने वाले डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के छात्र धरणेन््रद जैन ने भाषा को बताया कि शोध कार्य में उन्होंने भ्रष्टाचार के तौर -तरीकों व उसकी वजहों के बारे प्राचीन काल से लेकर मौजूदा ई-गवर्नेंस के दौर को भी शामिल किया है।
जैन के मुताबिक समाज की उच्च शिक्षा संस्थाओं और प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार के स्वरुप और उसकी घुसपैठ को मापने लिए उन्होंने समाज के तमाम वर्गों के 700 नुमाइंंदों-राजनेता, शिक्षक विद्यार्थी, वकील, पत्रकार, स्वयंसेवक, श्रमिक, व्यापारी, कर्मचारी, किसान व प्रशानिक अधिकारियों, से भ्रष्टाचार के संबंध में 25 सवालों के जवाब मांगे ।