कोलकाता: पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्र सुंदरवन में रहनेवाले एक तिहाई बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. आनेवाले समय में यहां के तीन लाख बच्चे कुपोषण से ग्रसित होंगे और इनमें से 26 हजार बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल में भरती कराना पड़ सकता है. सुंदरवन हेल्थ वाच (एसएचडब्लू) की रिपोर्ट में सेहत की यह भयावह स्थिति पेश की गयी है.
यही नहीं एक तिहाई माताओं को भी पौष्टिक आहार नहीं मिल रहा है. एसएचडब्लू ने सुंदरवन क्षेत्र के पाथरप्रतिमा ब्लॉक में रहनेवाले बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सर्वे किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि एक तिहाई बच्चों के साथ ही यहां माताएं भी कुपोषण की शिकार हैं. सबसे बड़ी समस्या पानी को लेकर है. यहां जन्म लेनेवाले कुल शिशुओं में से एक तिहाई को जन्म के बाद एक सप्ताह तक बिना किसी चिकित्सक की निगरानी के रखा जाता है. साथ ही 0 से 12 महीने तक की उम्र वाले शिशुओं को सही आहार नहीं मिला पाता है. जिसकी वजह से वे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं.
इलाज अप्रशिक्षित चिकित्सकों के भरोसे
गांवों में ज्यादातर बच्चों का इलाज झोलाझाप चिकित्सकों के भरोसे रहता है. क्षेत्र में कई स्वयंसेवी संस्थाएं काम कर रही हैं, पर शिशु स्वास्थ्य की ओर ध्यान देनेवाली संस्थाओं की संख्या काफी कम है. सुंदरवन में पब्लिक हेल्थ केयर सिस्टम का अभाव है. इसलिए स्वयं सेवी संस्थाओं को यहां शिशु चिकित्सा पर खास ध्यान देना होगा.