देश के दक्षिण पूर्वी भाग में इस साल मानसून की मेहरबानी किसानों के लिए राहत की बारिश लेकर आई है। छत्तीसगढ़ में इस साल मानसून आए डेढ़ महीने से ज्यादा समय बीत चुका है। मानसून की जल्द आमद के चलते राज्य में खरीफ की 66 फीसदी से अधिक बुवाई पूरी हो चुकी है। मौसम की इस रहमत को देखते हुए इस साल धान की बंपर फसल की उम्मीद की जा रही है।
वहीं इसका फायदा तिलहन और दलहन फसलों को भी मिलने की संभावना है। हालांकि जून में अति वृष्टि से कुछ स्थानों पर धान की तैयारी कर रहे किसानों के लिए मुश्किल आई थीं। लेकिन जुलाई की मंद बारिश ने किसानों को राहत दी है।
राज्य कृषि विभाग ने इस साल खरीफ रकबे में वृद्धि की उम्मीद जाहिर की है। इस साल धान की बजाय खरीफ सीजन के दौरान मक्का, तिलहन और दलहन उत्पादन में वृद्धि की संभावना है। इस साल अभी तक मक्का की 88 फीसदी और सोयाबीन की 93 फीसदी बुवाई पूरी हो चुकी है।
इस साल खरीफ फसलों के लिए 48.25 लाख हैक्टेयर रकबे का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वहीं 36.58 लाख हैक्टेयर रकबे में धान की फसल की उम्मीद है। जुलाई के तीसरे सप्ताह तक राज्य में 32 लाख हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई हो चुकी है, जो कुल लक्षित रकबे का 66 फीसदी है।
राज्य के कृषि विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी ने बताया कि इस साल मानसून पूर्व की बारिश ने किसानों को खेत तैयार करने का समय दे दिया है। वहीं जून के दूसरे सप्ताह से पूरे राज्य में मानसून की बारिश हो रही है। इसे देखते हुए खरीफ सीजन के प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार 36.58 लाख हैक्टेयर रकबे में धान की पैदावार ली जाएगी।
वहीं पिछले साल 36 लाख हैक्टेयर रकबे में धान की पैदावार हुई थी। धान की 70 फीसदी बुवाई पूरी हो चुकी है। राज्य के 25 लाख हैक्टेयर खेतों में धान की रोपाई का काम पूरा हो चुका है। खरीफ सत्र 2012-13 में राज्य में धान उत्पादन का आंकड़ा 100 लाख टन को भी पार कर गया था।
जिसमें से करीब तीन चौथाई धान की खरीद राज्य सरकार की ओर से की गई थी। 71 लाख टन धान की सरकारी खरीद होने से किसानों को करीब 10 हजार करोड़ की आय हुई है। इस साल सरकार 80 लाख टन से अधिक धान की खरीद कर सकती है। वहीं धान की पैदावार में 10 फीसदी की बढ़त की उम्मीद की जा रही है।
मानसून की मेहरबानी का फायदा तिलहनी फसलों को भी मिल रहा है। जिसका सीधा असर उत्पादन पर भी पड़ सकता है। इस साल मक्के और सोयाबीन की फसल में उत्साहजनक वृद्धि होने की संभावना है। इस साल खरीफ मौसम में छत्तीसगढ़ में 3.36 लाख हैक्टेयर में तिलहन की खेती का लक्ष्य है।
तिलहन के रकबे में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी प्रस्तावित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15,590 हैक्टेयर अधिक है। पिछले साल राज्य में 3.20 लाख हैक्टेयर में तिलहनी फसलों का उत्पादन हुआ था। तिलहनी फसलों के अंतर्गत सोयाबीन की बोनी के लिए 1.58 लाख हैक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
जिसमेंसे 1.47 लाख हैक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी है। मक्के की खेती के लिए इस बार 2.25 लाख हैक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 1.98 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बोनी हो गयी है।सोयाबीन की खेती के लिए इस वर्ष प्रस्तावित 1.58 लाख हैक्टेयर के लक्ष्य में से अब तक 1.47 लाख हैक्टेयर में इसकी बोनी कर ली गयी है।
दलहनी फसलों की बुआई अब तक 1.30 लाख हैक्टेयर में की जा चुकी है। इनमें अरहर की बुआई 68 हजार हैक्टेयर में और उड़द की 50 हजार हैक्टेयर में हुई है। तिलहनी फसलों में रामतिल के लिए 75 हजार हैक्टेयर, मूंगफली के लिए 53 हजार हैक्टेयर, तिल के लिए 45 हजार हैक्टेयर और सूरजमुखी एवं अरंडी के लिए पांच हजार हैक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में तिल की बुआई इस वर्ष 45 हजार हैक्टेयर रकबे में की जाएगी।
छत्तीसगढ़ में सूरजमुखी और अरंडी की बुआई इस वर्ष पांच हजार हैक्टेयर में प्रस्तावित है। छत्तीसगढ़ में मानसून के दौरान 3.75 लाख हेक्टेयर के रकबे में अरहर, मूंग, उड़द और कुल्थी सहित अन्य दलहनी फसलों की खेती का लक्ष्य है। यह लक्ष्य पिछले साल के खरीफ कार्यक्रम की तुलना में 16,500 हैक्टेयर ज्यादा है। पिछले वर्ष खरीफ में 3.58 लाख हैक्टेयर में दलहन की खेती की गई थी।