सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नर्सरी दाखिलों के संबंध में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने की मंजूरी दे दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में नर्सरी दाखिलों पर लागू नहीं होगा।
न्यायाधीश एचएल दत्तू और दीपक मिश्रा की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन सोशल जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गयी याचिका पर नोटिस जारी कर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।
गैर सरकारी संगठन का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने अदालत से कहा कि हाईकोर्ट ने यह कहकर कि आरटीई अधिनियम केवल छह से 14 साल के बच्चों के दाखिलों के मामले में लागू होता है और नर्सरी दाखिलों पर लागू नहीं होता है, कानून की व्याख्या में गलती की है।
गैर सरकारी संगठन ने अपनी याचिका में कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कह कर स्पष्ट रूप से कानून में गलती की है कि मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा बच्चों का अधिकार अधिनियम की धारा 13 केवल छह से 14 साल आयु वर्ग के बच्चों के दाखिलों के मामले में ही लागू होती है और यह गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में छह साल से नीचे के बच्चों के दाखिलों में लागू नहीं होती।
याचिका में कहा गया है कि अधिनियम की धारा 13 को नर्सरी दाखिलों में निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा स्क्रीनिंग की धड़ल्ले से अपनायी जा रही प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए बनाया गया था जिसके चलते हाईकोर्ट में याचिकाओं की बाढ़ आ गयी थी। इस शरारत को दुरुस्त करने के लिए उपरोक्त प्रावधान शामिल किया गया था।