भारत अगर धूम्रपान पर रोक के उपायों के साथ ही तंबाकू पर अधिक कर लगाए तो दिल की बीमारी से अगले दशक में संभावित 90 लाख से अधिक मौतों को रोक सकता है। एक नए अध्ययन में ऐसा कहा गया है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि धूम्रपान मुक्ति कानूनों और तंबाकू पर कर बढ़ाकर भविष्य में हृदय रोग से होने वाली मौतों पर रोक लगाई जा सकती है। पीएलओएस मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत में तंबाकू मुक्त कानूनों को व्यवस्थित रूप से लागू नहीं किया गया है।
2009 और 2010 में हर तीन में से एक वयस्क कार्यस्थल पर धूम्रपान की चपेट में था। चंडीगढ़ में इनकी संख्या सबसे कम 15.4 प्रतिशत और जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा 67.9 प्रतिशत बताई गई है। शोध में कहा गया है कि तंबाकू मुक्ति कार्यक्रमों को सरकार की तरफ से बहुत कम वित्तीय सहायता मिली और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवर सही तरह से मुक्ति संबंधी सलाह नहीं देते। देश में तंबाकू पर बहुत कम कर लगा हुआ है।
सिगरेट की कीमतों पर करीब 38 प्रतिशत और बीड़ी की कीमतों पर करीब 9 प्रतिशत कर लगे हैं जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सिफारिश किए गए 70 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर से बहुत कम है। संजय बसु और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के उनके सहयोगियों द्वारा किए गए इस अध्ययन के नतीजों से पता चलता है कि भारत और संभावित रूप से दूसरे कम एवं मध्य आय वाले देशों में अगले दशक में दिल की बीमारी से होने वाली मौतों को कम करने के लिए विशेष तंबाकू नियंत्रण रणनीतियां सबसे अधिक प्रभावशाली होंगी।