जयपुर। राजस्थान में 1.44 करोड़ परिवारों की मुखिया अब महिलाएं
होंगी। यह संभव होने जा रहा है नए फूड सिक्योरिटी अध्यादेश से। इस अध्यादेश
को देश में सबसे पहले लागू करने वाला राज्य राजस्थान होगा। राज्य में अब
तक आम तौर पर परिवार के कमाऊ पुरुष का नाम मुखिया के तौर पर इस्तेमाल होता
था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
फूड सिक्योरिटी अध्यादेश में प्रावधान है कि हर परिवार में मुखिया अब परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला को माना जाएगा, पुरुष को नहीं।
अगर परिवार में बुजुर्ग महिला नहीं है तो 18 साल से बड़ी उम्र की किसी
भी महिला को परिवार की मुखिया बनाया जाएगा। यह परिवार की बेटी या बहू भी हो
सकती है। परिवार में अगर बहू बड़ी है तो वही परिवार की मुखिया होगी, बेटी
नहीं, लेकिन अगर बेटी की उम्र ज्यादा है तो वह परिवार की मुखिया होगी। अन्य
प्रदेशों में भी यही प्रावधान लागू होंगे।
राज्य सरकार ने इसके लिए पूरी तैयारियां कर ली है। केंद्र से निर्देश
मिलते ही इसे 60 दिन के भीतर लागू कर दिया जाएगा। इस कानून का फायदा प्रदेश
के कुल 1.44 करोड़ में से एक करोड़ से ज्यादा राशनकार्ड धारियों को होगा।
यानी 76.4 प्रतिशत ग्रामीण और 54.3 प्रतिशत शहरी लोगों को।
इसके दायरे में 3 करोड़ 96 लाख 91 हजार ग्रामीण और 92 लाख 29 हजार शहरी
परिवार आएंगे। यानी प्रदेश में चार करोड़ 84 लाख 20 हजार लोगों को फूड
सिक्योरिटी बिल का सीधे तौर पर फायदा होगा। राज्य के खाद्य मंत्री
परसादीलाल मीणा ने बताया कि केंद्र सरकार से आदेश मिलते ही राज्य में इस
कानून को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया जाएगा।
हालांकि इसके हिसाब से पूरा सिस्टम लागू करने में दो महीने का समय
लगेगा। इसके तहत स्टेट फूड कमिशन और जिला स्तरीय समितियां बनाई जाएंगी।
स्टेट फूड कमिशन में दो महिला सदस्यों का होना जरूरी होगा। इनमें एससी और
एसटी के प्रतिनिधि भी रहेंगे।
क्या-क्या फायदा होगा?
पांच किलो गेहूं प्रति परिवार प्रति सदस्य के हिसाब से प्रति माह
मिलेगा। अगर कोई परिवार अंत्योदय अन्न योजना में शामिल है तो उसके परिवार
में कम सदस्य भी होंगे तो उसे हर माह 35 किलो अनाज मिलेगा।
मोटा अनाज एक रुपए किलो, गेहूं दो रुपए किलो और चावल तीन रुपए प्रति
किलो मिलेगा। इसके दायरे में 67 प्रतिशत लोग आएंगे। ग्रामीण 75 प्रतिशत और
शहरी 50 प्रतिशत। निर्धनता के हिसाब से यह संख्या राज्यवार बदल जाएगी।
गर्भवती महिलाओं को एक समय का भोजन मुफ्त मिलेगा। यह सुविधा उन्हें शिशु
के छह माह का होने तक मिलेगी। इस दायरे में आने वाली महिलाओं को हर महीने
कम से कम छह हजार रुपए प्रति माह की मदद भी दी जाएगी।
ञ्च बच्चों को आंगनबाडिय़ों में एक समय का खाना मुफ्त मिलेगा, लेकिन अतिकुपोषित बच्चों को दो समय का खाना मिलेगा।