उच्चतम् न्यायालय के फैसले की समीक्षा हो सकती है- कानूनी विशेषज्ञ

नयी दिल्ली। कानूनी विशेषज्ञों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले की भावना की आज प्रशंसा की जिसमें जेल में बंद लोगों को चुनाव लड़ने से रोका गया है लेकिन कहा कि इसे समीक्षा के लिए लाया जा सकता है क्योंकि कई मुद्दों को स्पष्ट करने की जरूरत है जिसमें चुनावों से पहले अपने प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए नेताओं द्वारा इसका दुरूपयोग करना भी शामिल है ।
विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापक प्रभाव वाला यह फैसला इस मुद्दे पर अंतिम नहीं है और उच्चतम न्यायालय के समक्ष बड़ी पीठ या संविधान पीठ के निर्णय के लिए इसे लाया जा सकता है ।
उच्चतम न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि जो व्यक्ति जेल में है या पुलिस हिरासत में है वह विधायी निकायों के लिए चुनाव नहीं लड़ सकता ।
इस फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए पूर्व अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल अमरेन्द्र सरन ने कहा, ‘‘इस फैसले का स्वागत है और इससे राजनीति में अपराधीकरण कम करने में मदद मिलेगी ।”
उन्होंने पूछा, ‘‘कैसे कोई व्यक्ति जो खुद वोट नहीं कर सकता, वह संसद या राज्य विधानसभाओं का चुनाव लड़ेगा ।”
वरिष्ठ वकील और फौजदारी मामलों के मशहूर वकील के. टी. एस. तुलसी ने कहा कि इस मुद्दे पर यह फैसला अंतिम नहीं है ।
वकील और आम आदमी पार्टी के सदस्य प्रशांत भूषण ने कहा कि इससे राजनीति को अपराध से मुक्त करने को बढ़ावा मिलेगा । (भाषा)

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