सहयोगी दलों के विरोध के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रिमंडल को खाद्य सुरक्षा पर अध्यादेश लाने के अपने विचार को फिलहाल टालना पड़ा है। हालांकि, सरकार के जिम्मेदार लोगों ने संकेत दिए हैं कि अभी सरकार ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। वह समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी जैसे सहयोगी दलों और भारतीय जनता पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों से इस मुद्दे पर सहमति बनाने की कोशिश जारी रखेगी। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इसके लिए अध्यादेश लाने का विकल्प अभी खुला रखा गया है। देश के नागरिकों को खाद्य सुरक्षा मिले और वे कुपोषण और भुखमरी से बच सकें, इस बात से भला किसको ऐतराज होना चाहिए? वैसे, सभी दल ऊपर से यही कहते हैं कि वे चाहते हैं कि सबको राशन मिले, लेकिन अंदरखाने हरेक दल की अपनी राजनीति और रणनीति है और कई बार चाहकर भी अपने इस चेहरे को वे छिपा नहीं पाते।
हर कोई जानता है कि केंद्र सरकार ने बजट सत्र से पहले ही खाद्य सुरक्षा विधेयक का प्रारूप संसद में पेश करने के लिए तैयार कर लिया था लेकिन मुख्य विपक्षी दल भाजपा के अडयिल रुख के कारण संसद का सत्र ही नहीं चल सका और….
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