नई दिल्ली। केंद्र सरकार चुनावी मौसम में एससी-एसटी और अल्पसंख्यक बहुल इलाकों के निजी स्कूलों में मिड डे मील का विस्तार करने जा रही है।
सरकार ने इसके लिए व्यय वित्त समिति, ईएफसी की मंजूरी के लिए नोट तैयार करके विभिन्न मंत्रालयों को भेजा है। वहीं महंगे होते गैस सिलेंडर से तौबा करके सौर ऊर्जा का उपयोग कर खाना पकाने की तैयारी योजना के तहत की जा रही है। मानव संसाधन मंत्रालय ने अक्षय ऊर्जा स्रोत मंत्रालय के साथ मिलकर नया रास्ता खोजा है। सौर ऊर्जा से पांच लाख स्कूलों में खाना पकाने की योजना मंत्रालय ने तैयार की है। इसका भी ईएफसी नोट तैयार करके विभिन्न मंत्रालयों को भेजा गया है।विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसका पूरी तरह से समर्थन करते हुए उपयोगी योजना बताया है।
महंगा सिलेंडर नहीं चलेगा: मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा तैयार नोट में कहा गया है कि एलपीजी सिलेंडर से सब्सिडी हटाने के बाद खाना पकाना काफी महंगा हो गया है। इसलिए सौर ऊर्जा व अन्य माध्यमों में शिफ्ट करना जरूरी है। मंत्रालय के नोट में कहा गया है कि अभी देश के करीब 27 फीसदी स्कूलों में एलपीजी गैस के जरिए खाना पकाया जाता है। जबकि अन्य 73 फीसदी स्कूलों में लकड़ी, कोयला, और गोबर के कंडों से खाना पकाया जाता है। रिपोर्ट में इन तरीकों को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है।
यह पर्यावरण के लिहाज से भी अनुकूल नहीं है। गौरतलब है कि गैस सिलेंडर पर सब्सिडी की मानव संसाधन मंत्रालय की मांग को पेट्रोलियम मंत्रालय ने नकार दिया था।
मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित उप समूह ने 12वीं योजना के दौरान पांच लाख स्कूलों में जहां इनरोलमेंट 200 से कम हो सौर ऊर्जा का उपयोग करके खाना पकाने की सिफारिश की थी। मानव संसाधन मंत्रालय को यह काम अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के साथ मिलकर करना है।
पांच लाख स्कूलों में योजना को लागू करने के लिए 3 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी। अक्षय ऊर्जा स्रोत मंत्रालय,’एमएनआरईÓ ने हर सोलर कुकर पर 30 प्रतिशत सब्सिडी देने को कहा है। करीब 900 करोड़ रुपए एमएनआरई वहन करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल करीब 2 से 2.5 करोड़ घरेलू एलपीजी सिलेंडर की बचत होगी।
इन इलाकों में किया जाएगा विस्तार
राष्ट्रीय स्तर की रिव्यू कमेटी ने 69 एससी बहुल जिलों,109 एसटी बहुल जिलों व 121 अल्पसंख्यक बहुल जिलों के निजी गैर-सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में योजना का विस्तार करने की संस्तुति मानव संसाधन मंत्रालय से की थी। संसदीय समिति ने इसी तरह की सिफारिश की थी। तमाम राज्य सरकारों व जनप्रतिनिधियों की भी मांग काफी समय से थी। अब चुनाव के मद्देनजर सोशल एजेंडे पर फोकस कर रही सरकार योजना के विस्तार का मूड बना चुकी है।