जीएम का विरोध
जीएम के ‘हमले’ से बचने के लिए किसानों की तैयारी
गुजरात के 500 किसानों ने की सीड बैंक बनाने की योजना
3 साल में अच्छी गुणवत्ता के बीज का चयन होने की उम्मीद
फसलों पर हो रहे जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सीड के तथाकथित हमले से बचने के लिए गुजरात के करीब 500 ऑर्गेनिक किसानों ने सीड बैंक बनाने की योजना तैयार की है। ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ओएफएआई) के अध्यक्ष सर्वदमन पटेल का कहना है
कि कम लागत में ऑर्गेनिक सीड बैंक निर्माण करना एक बड़ी उपलब्धि होगी। इस बैंक के माध्यम से ऑर्गेनिक सीड की ही रक्षा नहीं हो सकेगी, बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य से हो रहे खिलवाड़ को भी रोकने में मदद मिलेगी।
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि 10 ग्राम टमाटर के बीज का मूल्य बाजार में 400 रुपये है। लेकिन हर माह नई जीएम सीड कंपनियां नए मूल्य के साथ अपने उत्पाद उतार रही है। यह जीएम सीड उत्पादन बढ़ाने की गारंटी तो दे सकते हैं लेकिन लंबे समय तक नहीं चल सकते।
उन्होंने कहा कि यदि किसान सीड बैंक को बनाने में सफल हो जाते हैं तो वह अन्य किसानों को बोतलों में बीज सुरक्षित व स्टोर करने के गुर सिखाएंगे। इसके लिए देश भर में वर्कशॉप व सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।
हालांकि सीड बैंक को बनाने में अभी समय लगेगा। इसके लिए अच्छी गुणवत्ता के बीज के चयन का ट्रायल किया जाना है। अनुमान है कि करीब तीन साल में अच्छी गुणवत्ता के बीज का चयन हो जाएगा। इसके बाद बेहतर बीज विकसित करना ही बैंक के सदस्य का काम होगा।
पटेल ने कहा कि राज्य के कुछ किसान व्यक्तिगत तौर पर गेहूं, धान सहित सब्जियों के बीज संरक्षित कर रहे हैं। पटेल का कहना है कि आज किसान पुरानी बीज संरक्षण की तकनीक व प्रथाओं से अनजान अज्ञान हैं। किसान यह प्लान नहीं करते कि इस वर्ष उन्हें कौन सा बीज बोना है।
पहले के किसान हर वर्ष नए बीज का प्रयोग कर यह पता लगाने की कोशिश करते थे कि कौन सा बीज उन्हें ज्यादा लाभ दे सकता है। पटेल ने बताया कि ऑर्गेनिक सीड से उत्पादन करने पर लागत दो फीसदी तक आती है जबकि जीएम सीड से उत्पादन करने पर लागत 15 फीसदी तक पहुंच जाती है।
देश के कई राज्य जैसे छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व्यापक स्तर पर जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कीटनाशक व रासायनिक उर्वरक इस्तेमाल में असमर्थ होने के कारण करीब 50 फीसदी किसान जैविक खेती ही कर रहे हैं।