दुग्ध उत्पादकों की रक्षा व पोषण के लिए कड़े कदम जरूरी: निर्मला

मेहसाणा – दुग्ध उत्पाद की रक्षा व पोषण करने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए। यह कहना है श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वी. कुरियल की बेटी निर्मला कुरियन का। रविवार को डॉ. वी. कुरियन की याद में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मेहसाणा स्थित डॉ. वी. कुरियन शैक्षणिक केंद्र का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि देश की कृषि सकल घरेलू उत्पाद में दूध का महत्वपूर्ण योगदान है।

इसके विकास के लिए सरकार को हरसंभव प्रयास करने चाहिए। यह केंद्र मानसिंह भाई इंस्टीट्यूट ऑफ डेयरी एंड फूड टेक्नोलॉजी का एक हिस्सा है। इसमें विद्यार्थियों को डेयरी टेक्नोलॉजी में बी. टेक प्रोग्राम ऑफर किए जाएंगे।

निर्मला कुरियन ने कहा कि मेरे पिता ने लोगों के विकास के लिए उद्योग को बढ़ावा देने पर बल दिया। इसमें दूध की अहम भूमिका रही। अपने 63 वर्ष की जिंदगी में उन्होंने खुशी के साथ इस क्षेत्र में काम किया। डॉ. कुरियन ने गुजरात में लाभकारी मिल्क कोऑपरेटिव बिजनेस की शुरूआत की और अपने उत्पादों को प्रतिस्पर्धी मूल्य पर बेचा।

उन्होंने अमूल की शुरूआत प्रतिदिन केवल 250 लीटर दूध के संग्रह से की थी। आज देश में नेस्ले, कैडबरी, यूनीलीवर, हॉर्लिक्स सहित अन्य कंपनियां अस्तित्व में हैं लेकिन अमूल दूध का पर्याय बन गया है। यह दूध उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक है। जो किसानों के स्वामित्व में हैं।

उन्होंने कहा कि मेरे पिता किसानों को सशक्त बनाने में विश्वास रखते थे। उनका कहना था कि यदि किसान कड़ी मेहनत कर ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करते हैं, तो उनके पास बाजार होगा। उस समय सैकड़ों किसान एकत्रित हुए। उन्होंने एक मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि दूध उद्योग की मदद से अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटा जा सकता है।

वह कहा करते थे कि देश विश्व के विकसित देशों में शामिल हो सकता है लेकिन देश के 70 फीसदी किसान लोगों को भी विकास के अवसर देने होंगे। इस दौरान गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ और दूध सागर डेयरी के अध्यक्ष विपुल चौधरी ने मिल्कमैन डॉ. कुरियन को भारत रत्न से सम्मानित करने की अपील की। (ब्यूरो)

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