जीएम फसलों के लिए सतर्क रहने की जरूरत : रमेश

किसी एक कंपनी के हाथ में 95 फीसदी बीज बाजार का जाना ठीक नहीं

तीन साल पहले वन व पर्यावरण मंत्री के तौर पर बीटी बैंगन पर रोक लगाने वाले जयराम रमेश ने जीएम फसलों पर फिर से सवाल उठाया है। उन्होंने वैज्ञानिकों से सवाल किया है कि क्या वे 95 फीसदी बीज मार्केट पर किसी एक कंपनी का नियंत्रण होने देना चाहेंगे।

यहां पौष्टिकता और कृषि क्षेत्र के वैज्ञानिकों से मुखातिब होते हुए रमेश ने कहा जीएम फूड को बढ़ावा देना ठीक नहीं है।

रमेश ने एक कार्यक्रम में कहा कि जीएम फसलों के प्रति हमें सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पौष्टिकता के लिए कृषि क्षेत्र की अहमियत के लिए जेनेटिकली मॉडीफाइड फसलों की जरूरत बताना कोई नहीं है। जीएम फसलों को बढ़ाना देना पौष्टिकता के लिए बहुत छोटा कदम होगा।

रमेश ने कहा कि हमें देश की पहली हरित क्रांति और मौजूदा हरित क्रांति के बीच का बुनियादी अंतर समझना होगा। पहली हरित क्रांति जहां सार्वजनिक खर्च से संचालित हुई थी। इससे गेहूं और चावल की किस्मे मैक्सिको की सिमिट और फिलीपींस की इरी कंपनी से प्राप्त हुई थीं। जबकि आज की फसल किस्में जीएम फूड को बढ़ावा देने वाली प्रमुख कंपनियों मोनसेंटो और सिंजेंटा से नहीं आ रही है।

उन्होंने कहा कि इस बार बिल्कुल अलग तरह का खेल चल रहा है। व्यक्तिरूप से उनका मानना है कि समूचे कृषि क्षेत्र और पौष्टिकता के सवाल पर थोड़ा सचेत होने की जरूरत है क्योंकि इससे ट्रांसजेनिक्सि की वकालत करने वालों को मौका मिल जाता है।

हमारा मानना है कि इस मामले में हमें सावधानी रहना चाहिए। जीएम फसलों के प्रति अपनी मुखालफत को फिर से जाहिर करते हुए मंत्री ने कहा कि यह ऐसा कदम है, जिसे उठाया जा सकता है। लेकिन काफी अत्यधिक सावधानी के साथ।

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