सबसे बड़ा खाद्यान्न निर्यातक बनेगा भारत

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कभी दुनिया के आगे अनाज के लिए हाथ फैलाने वाला भारत जल्दी ही सबसे बड़ा खाद्यान्न निर्यातक देश बन जाएगा। इतना ही नहीं ग्लोबल स्तर पर खाद्यान्न की कीमतें भारत के किसान तय करने लगेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने यह दावा 16वें भारतीय सहकारी कांग्रेस में किया है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल स्तर पर चावल व गेहूं निर्यात में भारत प्रमुख देश बन चुका है। साथ ही विश्व की 17 फीसद आबादी का पेट भरने वाला भारत अंतरराष्ट्रीय जिंस बाजार को स्थिर रखने में मदद कर सकता है।

सहकारिता कांग्रेस का उद्घाटन करने के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि दुनिया में केवल भारत में ही सहकारिता को मौलिक अधिकार का दर्जा मिला है। आर्थिक विकास में सहकारिता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। देश के 99 फीसद ग्रामीण क्षेत्र और 71 फीसद परिवार सीधे तौर पर सहकारिता से प्रभावित होते हैं। इस मौके पर शरद पवार ने कहा कि भारत का खाद्यान्न निर्यात दो लाख करोड़ रुपये को पार कर चुका है। खाद्यान्न उत्पादन भी साल दर साल उच्चतम स्तर को छू रहा है। 11वीं पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन आमतौर पर चार फीसद रहा। सहकारिता भारतीय कृषि क्षेत्र की रीढ़ है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए इसे और भी मजबूत करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा की सफलता के लिए मौजूदा राशन प्रणाली का कारगर प्रबंधन जरूरी है। इसे सहकारिता के बल पर मजबूत किया जा सकता है। मगर सहकारिता आंदोलन के भीतर और बाहर दोनों जगहों के खराब कामकाज की चर्चा करते हुए पवार ने कहा कि इसमें पर्याप्त सुधार की आवश्यकता है ताकि लोगों का विश्वास जाग सके। सहकारिता क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बाजार में बने रहने के लिए अपनी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना होगा। सहकारिता के अस्तित्व और वृद्धि दर के लिए बदलती परिस्थितियों में अपनी योग्यता के मुताबिक विकास करना होगा।

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अमूल, इफको और कृभको की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि सहकारिता के मार्फत सामाजिक ही नहीं बल्कि आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी। देश के आर्थिक विकास में इनका योगदान है। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष चंद्रपाल यादव ने कहा कि सहकारी संस्थाओं को डीटीसी के दायरे में लाने पर इन्हें टैक्स में मिलने वाली छूट का लाभ नहीं मिल पाएगा। इससे सहकारी समितियां प्रभावित होंगी।

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