यहां ग्राउंड वाटर का सबसे अधिक दोहन हो रहा, 310 मीटर और नीचे गया पानी

रांची. कांके, रातू और ओरमांझी ब्लॉक में ग्राउंड वाटर डेंजर जोन में पहुंच गया है। कांके में ग्राउंड वाटर का सबसे अधिक दोहन हो रहा है। इन क्षेत्रों में जितना पानी जमीन के अंदर पहुंच रहा है, उससे अधिक निकाला जा रहा है। शहरी क्षेत्र में भी पिछले चार वर्षों में ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है। हिनू सहित दर्जनों एरिया में वाटर लेवल पांच से 10 मीटर नीचे चला गया है।

ये बातें झारखंड में रेन वाटर हार्वेस्टिंग और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग के द्वारा पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के विषय पर हुई कार्यशाला में सामने आई। जल संसाधन और भूगर्भ जल निदेशालय की ने कार्यशाला का आयोजन किया था। इसका उद्घाटन जल पुरुष राजेंद्र सिंह, गवर्नर के सलाहकार मधुकर गुप्ता, मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने किया। कार्यशाला में वर्षा जल संरक्षण के लिए ठोस नीति बनाने और भू-जलस्तर बढ़ाने पर मंथन किया गया। मौके पर पीएचईडी के प्रधान सचिव सुधीर प्रसाद, नगर विकास सचिव एके सिंह, जल संसाधन विभाग के सचिव एसके सत्पथी समेत कई विशेषज्ञ मौजूद थे।

जल-जन जोड़ो अभियान चलाएं : सिंह

जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड में फसल चक्र और वर्षा चक्र का कोई रिश्ता ही नहीं है। इसका नतीजा है कि पैदावार प्रभावित होता है। झारखंड में हर साल 1300 से 1400 मिमी बारिश होती है, यह पर्याप्त है। लेकिन झारखंड ढलान नुमा है, इस कारण वर्षा जल बेकार बह जाता है। इसे बचाने की जरूरत है। इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना बनानी होगी, तभी जल संरक्षण के ठोस उपाय हो सकेंगे। जल पुरुष ने कहा कि समाज में जल संरक्षण चेतना जगाने की जरूरत है। इसके लिए जल-जन जोड़ों अभियान चलाना होगा।

सिविक सेंस की कमी से संकट : गुप्ता

गवर्नर के सलाहकार मधुकर गुप्ता ने कहा कि पॉलिथीन का उपयोग बंद करना हो या पानी बचाना, लोग समझते हैं यह सरकार की जिम्मेवारी है। इस कारण कोई काम सफल नहीं होता। शहर के लोगों में सिविक सेंस नहीं है। इसका नतीजा है दिनों-दिन पानी की किल्लत होती जा रही है। सरकार अपने स्तर से पंचायतों में वाटर मैनेजमेंट प्रोग्राम लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है।

नहीं चेते तो पानी के लिए होगी जंग : शर्मा

मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने कहा कि झारखंड में पर्याप्त वर्षा के बाद भी जल संरक्षण नहीं होने से गर्मी में पानी की किल्लत होती है। अब भी समय है, हमलोग नहीं चेते तो वह समय दूर नहीं जब पानी के लिए जंग होगी। वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए सरकार के साथ-साथ समाज को भी आगे आना होगा। राज्य में जल नीति और वाटर अथॉरिटी बनाने की कवायद की जा रही है। हर घर में वर्षा जल का संरक्षण करने की जरूरत है।

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