गैस कीमत बढ़ाने पर फैसला संभव

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पिछले हफ्ते कोयले की कीमत बढ़ाने का फैसला करने के बाद केंद्र सरकार अब प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाने जा रही है। बृहस्पतिवार को कैबिनेट की बैठक में पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से भेजे गए इस प्रस्ताव विचार होगा। अगर कैबिनेट इस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा देती है तो आने वाले दिनों में गैस आधारित बिजली प्लांटों से उत्पादित बिजली की दरों में भी वृद्धि होने का रास्ता साफ हो जाएगा। पिछले हफ्ते आयातित कोयले को घरेलू कोयले में मिला कर उसकी कीमत तय करने का फैसला किया गया था। इससे बिजली की दरों में लगभग 20 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की संभावना जताई जा रही है।

गैस कीमत के साथ ही कैबिनेट कोयला नियामक के गठन के एक महत्वपूर्ण ंिवधेयक के प्रारूप पर भी विचार करेगा। कोयला नियामक प्राधिकरण विधेयक को यूपीए सरकार वर्ष 2010 से तैयार कर रही है। अब जा कर इसका मसौदा तैयार हुआ है। इस पर अंतिम फैसला करने की जिम्मेदारी वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में गठित मंत्रि समूह को दिया गया था। इसने विधेयक को मंजूरी तो दे दी है, लेकिन प्रस्तावित नियामक को कोयला कीमत तय करने का पूरा अधिकार नहीं दिया गया है। प्राधिकरण को सिर्फ कुछ विशेष मामलों में ही कीमत में हस्तक्षेप का अधिकार है। कंपनियां किस तरह से कीमत तय करेंगी, इसका फैसला नियामक कर सकेगा। अब देखना है कि प्रधानमंत्री इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाते हैं।

गैस कीमत को लेकर कुछ दिन पहले ही पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने दैनिक जागरण को बताया था कि पेट्रोलियम क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए गैस कीमत तय करने के मौजूदा फार्मूले को बदलना होगा। अभी भारत में प्राकृतिक गैस की कीमत 4.20 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (गैस मापने का मानक) है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमत 14-15 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने इसे बढ़ा कर 6.7 डॉलर करने और हर तीन महीने पर इसमें संशोधन करने का प्रस्ताव किया है। हाल ही में वामपंथी दलों ने पेट्रोलियम मंत्रालय के इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। साथ ही मोइली पर यह आरोप लगाया है कि वे रिलांयस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को फायदा पहुंचाने के लिए यह कर रहे हैं। इसके जबाव में मोइली ने कहा है कि विदेशी ताकतों की शह पर कुछ लोग भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की राह में रोड़ा अटका रहे हैं। बिजली व उर्वरक मंत्रालय भी इसका विरोध कर रहे हैं।

बृहस्पतिवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में नेशलन फर्टिलाइजर्स में 7.64 फीसद इक्विटी के विनिवेश के प्रस्ताव पर भी विचार होना है।

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