खाद्यान्न गोदाम बनाने में हरियाणा समेत छह राज्य पिछड़े

निजी क्षेत्र की भागीदारी से खाद्यान्न भंडारण के लिए गोदाम बनाने के काम में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल का प्रदर्शन खराब है। खाद्य मंत्रालय ने यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजी है।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की प्राइवेट इंटरप्रिन्योर्स गारंटी (पीईजी) स्कीम में गोदाम बनाने की प्रगति पर पीएमओ को भेजे स्टेटस नोट में मंत्रालय ने कहा है कि बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में पीईजी स्कीम की प्रगति संतोषजनक नहीं है।

खाद्यान्न भंडारण की कमी से परेशान केंद्र सरकार ने पीईजी स्कीम शुरू की थी। स्कीम में विभिन्न राज्यों में प्राइवेट निवेशकों के जरिये 200 लाख टन क्षमता की कवर्ड व आधुनिक भंडारण सुविधा विकसित करने का लक्ष्य है। स्कीम में अब तक 70 लाख टन क्षमता के गोदाम बनाए गए हैं।

पीईजी स्कीम के दायरे में राज्यों की एजेंसियों को भी शामिल किया गया था। उनके लिए शर्त है कि उनके पास गोदाम बनाने के लिए जमीन होनी चाहिए।

स्कीम के तहत एफसीआई खाद्यान्न भंडारण के लिए दस साल तक गोदाम किराए पर लेने का आश्वासन देती है। अपने नोट में मंत्रालय ने कहा कि गोदामों के निर्माण में छह राज्यों की प्रगति काफी धीमी है। इन राज्यों में 80 लाख टन क्षमता के गोदाम बनाने जाए हैं। भू उपयोग परिवर्तन और टेंडरों को अंतिम रूप देने में समेत विभिन्न वजहों से इन राज्यों में गोदामों का निर्माण कार्य धीमी है।

मसलन, 36.5 लाख टन क्षमता के गोदाम हरियाणा में बनाने के लिए भू उपयोग परिवर्तन में काफी समय लगा। इस वजह से वहां अभी तक गोदामों का निर्माण शुरू नहीं हो पाया। दूसरे राज्य अभी टेंडर जारी करने और बिडर के बारे में फैसला करने में ही व्यस्त हैं।

मंत्रालय ने बताया है कि वह इस साल इन राज्यों की समस्याओं की निगरानी कर रहा है। उसका फोकस गोदामों का निर्माण कार्य जल्द से जल्द शुरू करने और इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया जल्दी पूरी करने पर है। मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष 2013.-14 के दौरान 60 लाख टन क्षमता के गोदाम तैयार करने का लक्ष्य रखा है।

एफसीआई के पास इस समय करीब 770 लाख टन खाद्यान्न रखा है जबकि उसकी कुल भंडारण क्षमता (कवर्ड व प्लिंथ मिलाकर) 740 लाख टन की ही है।

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