धान की बुवाई का काम तेज, दलहन बोने के लिए भी सही
जल्दी मानसून आने से खरीफ की फसलों जैसे धान, दलहन और तिलहन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सरकार ने कहा है कि जल्दी मानसून के चलते कृषि क्षेत्र की उत्पादकता ऐसे समय में बढ़ेगी, जब अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है।
मानसून पूरे देश में करीब एक माह पहले ही सक्रिय हो चुका है। देश में सामान्य के मुकाबले औसतन 28 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है।
इससे बुवाई का काम तेज होगा और कृषि क्षेत्र की रफ्तार तेज हो जाएगी। देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान 15 फीसदी है। देश में 60 फीसदी से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है जबकि 45 फीसदी खेती ही सिंचाई सुविधाओं से परिपूर्ण है।
कृषि आयुक्त जे. एस. संधू ने कहा कि मौजूदा बारिश से सभी खरीफ फसलों की बुवाई तेज होगी। अगर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की भविष्यवाणी सही साबित होती है तो इस साल कृषि उत्पादन पिछले रिकॉर्ड को भी पार कर जाएगा।
उन्होंने कहा कि बारिश से महाराष्ट्र जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी खेतों में नमी बढ़ गई है। इससे किसानों की सिंचाई की लागत में भी कमी आएगी। आमतौर पर पंजाब और हरियाणा को बुवाई के लिए खेत तैयार करने के लिए सिंचाई का सहारा लेना पड़ता है। जल्दी मानसून आने से किसानों पर पंपिंग सेट से सिंचाई करने का व्यय भार नहीं पड़ेगा। धान और दूसरी फसलों की बुवाई पूरे जोरों पर शुरू हो चुकी है।
हालांकि अब तक 7.94 लाख हैक्टेयर में धान की बुवाई हुई है। बुवाई की रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले थोड़ा कम है। लेकिन अगले कुछ दिनों में रकबा तेजी से बढ़ जाएगा। संधू ने कहा कि इस समय दलहन बारिश आधारित फसल है। ऐसे में जल्दी मानसून आने से तूर, उड़द और मूंग की बुवाई का यह सही समय है।