नयी दिल्ली : खाद्य सुरक्षा बिल पर आयोजित कैबिनेट की बैठक खत्म हो गयी
है. बैठक के बाद वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि खाद्य सुरक्षा बिल तैयार
है, सरकार ने अध्यादेश भी तैयार कर लिया है. लेकिन हम विपक्ष को इस बिल पर
फैसला करने के लिए एक और मौका देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हम विपक्ष
से एक और बार चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि संसद के अगले सत्र में यह बिल
पेश किया जायेगा.
कांग्रेस की नजर में यह विधेयक आगामी संसदीय चुनाव में गेम चेंजर हो सकता
है. हालांकि, कैबिनेट में इसके विरोध में आवाज उठाने वाले भी हैं, जिससे
इसके पारित होने पर संदेह है.
खाद्य सुरक्षा विधेयक कांग्रेस अध्यक्ष और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
(संप्रग) की मुखिया सोनिया गांधी का महत्वाकांक्षी विधेयक है, जिसे
कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार हर हाल में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले
लागू करना चाहती है. हालांकि संसद के बीते सत्र में ही सरकार ने इसे सदन
में पेश कर दिया गया था, लेकिन इस पर चर्चा नहीं कराई जा सकी थी. आए दिन
बदलते राजनीतिक हालात को देखते हुए मनमोहन सिंह सरकार खाद्य सुरक्षा विधेयक
को लागू करने की जल्दी में है.
विधेयक को लागू करने के लिए सरकार अध्यादेश जारी करने की तैयारी कर रही
है. इसी क्रम में 13 जून को होने वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस
पर चर्चा हो सकती है. इस आशय का कैबिनेट नोट मंगलवार को मंत्रियों को दे
दिया गया है.
गौरतलब है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के प्रमुख सहयोगी राष्ट्रीय
कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने
पिछले हफ्ते खाद्य सुरक्षा विधेयक को अध्यादेश के जरिए जाने पर अपनी
नाराजगी जताई थी. मराठा क्षत्रप के नाम से विख्यात पवार ने कहा कि आम लोगों
को प्रभावित करने वाला कोई भी प्रावधान व्यापक चर्चा के बाद ही लागू होना
चाहिए. उनके अलावा कुछ और भी मंत्री हैं, जो कैबिनेट में इसके विरोध में
आवाज उठा सकते हैं.
सूत्रों के मुताबिक विधेयक पारित कराने के लिए सरकार मानसून सत्र में इसे
रखेगी भी. इसके पहले इसे अध्यादेश के जरिए लाने की तैयारी है, ताकि राज्यों
को इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए तैयार किया जा सके. विधेयक के
प्रावधानों में देश की 67 फीसद आबादी को अति रियायती दर यानी एक रुपये किलो
मोटा अनाज, दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो चावल उपलब्ध कराना है.