अमेठी में पांच हजार में बिक रहा है बीपीएल कार्ड

स्वामीनाथ शुक्ल, अमेठी। नए राशन कार्डों के सत्यापन में बीपीएल और अन्त्योदय के पात्र लाभार्थियों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी हो रही है। हेरा-फेरी के इस खेल में बांग्लादेशी बी भारत की नागरिकता ले रहे हैं। यहां पांच हजार रुपए में बीपीएल और दस हजार में अन्त्योदय राशन योजना का कार्ड मिल जा रहा है। बीपीएल सूची में नाम बढ़वाने और कटवाने के इस खेल में ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम प्रधान और ग्राम रोजगार सेवक शामिल हैं। सत्यापन के लिए गठित टीम के दलाल गांव-गांव घूम कर जेब गरम कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि जहां से शिकायतें मिलेंगी वहां की सत्यापन करने वाली टीम के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा और उन्हें जेल भेजा जाएगा।
खाद्य और रसद विभाग के आयुक्त ने इस साल 26 फरवरी को जिलाधिकारियों को राशन कार्ड धारकों के चयन का आदेश दिया था। इस पर जिले के जिलाधिकारी जगत राज त्रिपाठी ने आठ अप्रैल को राशन कार्ड धारकों की पात्रता जांचने के लिए एक टीम गठित की। नए राशन कार्डों के सत्यापन की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत स्तर ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम लेखपाल और रोजगार सेवक की टीम को दी गई। इस टीम को घर-घर जाकर राशन कार्ड धारकों का जमीनी सत्यापन करना है। लेकिन इन टीमों ने ग्राम प्रधानों के दरवाजे पर बैठकर पुरानी बीपीएल सूची को ही बहाल कर दिया। यह सूची 2002 में बनी थी। इसमें अपात्र लोगों के नाम शामिल किए जाने के आरोप पहले लगे थे। इसके बाद भी उसी सूची को फिर सत्यापित कर प्रकाशित कर दिया गया है। इसका पंचायत स्तर विरोध हो रहा है।
जामों में राशन कार्डों के सत्यापन के दौरान दो पक्षों में अंधाधुध फायरिंग हुई। इसमें दो लोगों की मौत हो गई। इसके बाद भी व्यवस्था नहीं सुधरी। यह तो एक उदाहरण भर हैं, जिले में रोजाना दजर्नों स्थानों पर राशन कार्डों के सत्यापन को लेकर लाठियां चल रही हैं। ग्राम विकास अधिकारियों ने बीपीएल और अन्त्योदय राशन कार्डों में नाम बढ़वाने की दुकानें खोल रखी हैं। इन दुकानों में पांच हजार रुपए में बीपीएल राशन कार्ड दिया जा रहा है।
अमेठी विकास खंड की ग्राम पंचायत रामदैयपुर में लक्ष्मीकांत पाण्डेय ग्राम विकास अधिकारी हैं। उनके सत्यापन की बीपीएल सूची में दर्जन भर बाहरी लोगों के नाम शामिल हैं। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से इसकी शिकायत की है। उन्होंने बताया है कि ग्राम पंचायत रामदैयपुर की प्रकाशित बीपीएल सूची में 14 नंबर पर केशरीबानों पत्नी अब्दुल कलाम, 22 नंबर पर हियात मोहम्मद पुत्र बरखूदार, 23 नंबर पर बरकतउल्ला पुत्र हियात

मोहम्मद, छह नंबर पर साबिरा पत्नी बाबू, 11 नंबर पर कल्लन पुत्र फतेह मोहम्मद आदि के नाम हैं। ये लोग ग्राम पंचायत जंगल रामनगर के मूल निवासी हैं। लेकिन ग्राम विकास अधिकारी ने इन लोगों को रामदैयपुर ग्राम पंचायत की बीपीएल सूची में शामिल किया। जबकि इन अपात्रों का इस ग्राम पंचायत से कोई सरोकार नहीं है। इसी बीपीएल सूची में 13 नंबर पर रामआसरे का नाम है, जो सरकारी सेवक है। सात नंबर पर संझिला पत्नी रामसमुझ का नाम है, जबकि राम समुझ पुत्र छोटू का नाम अन्त्योदय राशन कार्ड में 26 नंबरपर अंकित है। इससे साफ जाहिर है कि बीपीएल और अन्त्योदय सूची में ख्ुालेआम हेराफेरी की गई है। कई लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए पत्नी का बीपीएल और पति का अन्त्योदय राशन कार्ड बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश में राशन कार्डों की अवधि 2010 में खत्म हो चुकी है। अब सत्यापन कर नए राशन कार्ड बनाए जा रहे हैं। अमेठी जिले में चार लाख बयासी हजार एक सौ तिहत्तर राशन कार्ड धारक हैं। इनमें एक लाख 35 हजरा 64 बीपीएल, 83 हजार नौ सौ 33 अन्त्योदय और दो लाख 63 हजार 176 एपीएल कार्ड धारक हैं। सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में पात्रता सूची में चयन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीएल राशन कार्ड के लिए सालाना आय 19 हजार 884 हजार रुपए और नगरीय क्षेत्रों की आय 25 हजार 546 रुपए निर्धारित की गई है। इसके अलावा दो एकड़ से अधिक सिंचित जमीन, पक्का मकान, टीवी, फ्रीज, टेलीफोन, कुशल बढ़ई, कारीगर, राजमिस्त्री, मकैनिक और निश्चित रोजगार वाले लोगों के बीपीएल और अंत्योदय योजना के कार्ड नहीं बन सकते हैं। लेकिन सरकारी कर्मचारी जमीदारों और डॉक्टरों तक को बीपीएल और अन्त्योदय सूची में शामिल कर रहे हैं। इस सूची में विकलांगों, विधवाओं और लंबे समय से बीमार लोगों के नाम शामिल करने को लेकर भी हेरफेर की गई है।
बीपीएल सूची में हेराफेरी का मामला लोकसभा में भी उठ चुका है इसके बावजूद भी चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। एक ग्राम विकास अधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अगर बीपीएल और अन्त्योदय राशन कार्ड धारकों का सही चयन किया जाए तो, हर गांव में 10-15 लोग ही पात्र मिलेंगे। उन्हें संख्या पूरी करना है इसलिए हेराफेरी उनकी मजबूरी है।
वोट बैंक और धन उगाही की वजह से सैकड़ों बंग्लादेशी अमेठी के नागरिक बन चुके हैं। जायस कस्बे के बाहर सड़क के किनारें करीब दो सौ बंग्लादेशी झोपड़ी डालकर सालों से रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश के राशन कार्ड बन चुके हैं।

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