मुजफ्फरपुर, कासं : पहले तो दलालों ने इंदिरा आवास दिलाने के नाम पर लाभुकों से 500-500 रुपये लिए। दो-दो फोटो लेकर आवास दिलाने का पक्का भरोसा दिलाया। मगर, प्रखंड के कर्मचारियों व बैंककर्मियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तखत व अंगूठा लगाकर पूरी राशि गटक ली। यह मामला है सकरा प्रखंड की बाजी बुजुर्ग पंचायत का। जिला प्रोग्राम पदाधिकारी की जांच के बाद फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। उन्होंने दलालों, प्रखंडकर्मियों व बैंककर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की है।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री की सेवा यात्रा के दौरान यहां के लोगों ने यह शिकायत की थी। जांच के दौरान डीपीओ ने कई लाभुकों से बात की। इसमें पता चला कि सत्येंद्र भगत, चुलबुल झा और बिजली भगत ने इंदिरा आवास दिलाने के नाम पर लाभुकों से 500-500 रुपये और दो-दो फोटो लिए। इसके बाद पता चला कि सभी लाभुकों की राशि बैंक के माध्यम से निकासी कर ली गई है। जबकि लाभुकों ने अनुदान की राशि निकासी हेतु किसी भी कागजात पर हस्ताक्षर से इन्कार किया। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसी स्थिति में बैंक द्वारा खाताधारी की पहचान स्थापित किए बिना राशि का भुगतान होना बैंककर्मियों के फर्जीवाड़े में शामिल होने का संकेत है। वहीं इस मामले में प्रखंड कर्मियों की भूमिका भी संदेहास्पद है। खाता खोलने से लेकर लेकर भुगतान संबंधी कागजात पर लाभुकों के हस्ताक्षर फर्जी प्रतीत होते हैं। इसलिए हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच कराते हुए फर्जीवाड़े में शामिल सभी व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
कार्रवाई में पुलिस की शिथिलता
जांच रिपोर्ट में पुलिस की शिथिलता भी उजागर हुई है। क्योंकि उक्त मामले में सकरा थाना में कांड संख्या 164/11 दर्ज कराया गया। मगर, अभियुक्तों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पंस पति ने ली राशि, इंदिरा
आवास मांगने पर दी गाली
इंदिरा आवास के नामपर पंचायत प्रतिनिधियों की दबंगई भी सामने आई। बाजी बुजुर्ग पंचायत के ही राम नरेश शर्मा ने शिकायत की थी की तत्कालीन पंचायत समिति सदस्य सरस्वती देवी के पति मोतीलाल शर्मा ने इंदिरा आवास के लिए 5000 रुपये मांगे। लाभुक ने किसी तरही 3500 रुपये की व्यवस्था की। मगर, न तो इंदिरा आवास मिला और न दी गई राशि। मांगे जाने पर गाली-गलौज देते हुए मारपीट की गई। जांच में डीपीओ ने आरोप को सत्य पाया। कई अन्य लोगों ने भी जांच के दौरान ठगी की बात बताई। डीपीओ ने प्राथमिकी दर्ज करवाने की अनुशंसा की है।