नई दिल्ली। यह भारतीय न्यायिक प्रणाली के लिए बड़ा सवाल है? एक महिला को जेल में उन्नीस साल सिर्फ इसलिये बिताने पड़े, क्योंकि उसके पास जमानत लेने के लिये 5000 रुपये नहीं थे।
यह महिला पांच हजार रुपये न होने की वजह से उन्नीस साल जेल में सड़ती रही। जेल में ही उसने अपने बेटे को जन्म दिया, उसी बेटे ने 19 साल बाद पैसे जुटाकर मां की जमानत कराई। आज वह मां जेल की काल कोठरी से बाहर है, लेकिन इस घटना ने हमारे समाज और सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
इस महिला का नाम विजय कुमारी है। इसने 19 साल सलाखों के पीछे काटे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चे के आंसू देखकर न सिर्फ पांच हजार रुपये की माफी दी बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार से एक महीने के भीतर ऐसे कैदियों का ब्यौरा मांगा है, जो जमानत के बावजूद जेल में बंद हैं सिर्फ इसलिये क्योंकि उसके पास या तो पैसे नहीं हैं या उनके अपनों ने उन्हें जेल में सड़ने के लिए छोड़ दिया है। विजय कुमारी की जिंदगी में दो लक्ष्य हैं, एक खुद पर बच्चे की हत्या का मुकदमा लड़ना और बेटे को अपने बाप का हक दिलाना।
सच बात तो यह है कि जेल जाने के एक साल बाद ही उसकी जमानत हो गई थी, लेकिन जिस पति को जमानत के पांच हजार रुपये बतौर मुचलका अदा करनी थी वो लौट कर आया ही नहीं, ससुराल वालों ने भी कोई सुध नहीं ली। यह घटना 1993 की है। गौरतलब है कि अलीगढ़ में अपने ससुराल में रह रही विजय कुमारी पर एक बच्चे की हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ, ससुराल वालों की रंजिश पड़ोसियों से थी और इसी रंजिश के दौरान ही तालाब में एक बच्चे की लाश मिलने पर हत्या का आरोप विजय कुमारी पर आ गया, निचली अदालत ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई, साल भर बाद 1994 में उसे जमानत मिल गई, लेकिन जमानत के पांच हजार का इंतजाम होता तब तक जेल में गुजर गए 19 साल।