हाल ही में 2 मई को चिकित्सा विभाग की पीसीपीएनडीटी इकाई की स्टेट विंग ने जयपुर शहर
में दो स्थानों पर स्टिंग आपरेशन कर भ्रूण परीक्षण करते हुए दो डाॅक्टरों को रंगे हाथों
पकड़ा। सांगानेर में फागी रोड पर किरण नर्सिंग होम व आदर्शनगर
के अनिल हाॅस्पिटल में भ्रूण परीक्षण किया
जा रहा था।
विभाग की तमाम सख्ती के बावजूद भी
भू्रण परीक्षण पर रोक नहीं लग पा रही है। कन्याओं की हत्या में अव्वल होने
का पाप हमारा प्रदेश सदियों से ढो रहा है।
इस कलंख को मिटाने के प्रयास भी होते हैं, फिर भी
कोई न कोई गहरी कालिख पोत देता है।
कन्या भ्रूण हत्या रोकने को बने तमाम कानूनों को ढेंगा दिखाकर आए दिन बेटियों को
गर्भ में ही मार दिया जाता हैं। कड़े
कानूनों और तमाम सरकारी कोशिशों के बाद भी चोरी छिपे भ्रूण परीक्षण होते हैं। कोख
में पल रहे बच्चे के बारे में जब पता चलता
है कि होने वाली संतान बेटी है, तो बेटियों को
कोख में कत्ल करने से नहीं चूकते। लिंग की जांच करवाकर भावी शिशु कन्या पाए जाने पर भ्रूण हत्या करवा देना कानूनन अपराध
है। पीसीपीएनडीटी यानी प्रसव पूर्व लिंग चयन व लिंग जांच कानून में कन्या भ्रूण हत्या को अपराध माना गया है लेकिन अपने
ही अजन्मी कन्याओं के नाते रिश्तेदार चिकित्सकों के साथ मिलकर
कानून को चकमा दे ही डालते हैं। हालांकि
आमीर खान द्वारा सत्यमेव जयते के माध्यम से कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ माहौल
बनने के बाद राज्य सरकार ने गंभीरता दिखाई
थी। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए राज्य सरकार ने कुछ घोषणाएं भी की थी।इस कहानी को आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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