खगड़िया जिले में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां कोई सड़क नहीं है. साल के छह
महीने वहां धूल उड़ती है और शेष छह महीने ये गांव पानी से डूबे रहते हैं.
यहां पहुंचने के लिए पूरे साल नाव का सहारा लेना पड़ता है.
सरकारी अमले में इन गांवों को कालापानी के नाम से जाना जाता है, किसी को
सजा देनी हो तो इन गांवों में पोस्टिंग कर दी जाती है. वैसे इनमें से
अधिकांश गांवों में शिक्षक, एएनएम से लेकर प्रशासन और पुलिस का कोई
कर्मचारी जाता ही नहीं है. लोग भगवान भरोसे रहते हैं. स्थानीय लोग इस इलाके
को फरकिया के नाम से पुकारते हैं. हमारे संवाददाता पुष्यमित्र ने इन
गांवों की यात्रा की है. पेश है इस इलाके के बारे में उनकी पहली रिपोर्ट: