‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना ‘घोटाले’ की सीबीआई जांच पर तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करें सरक

लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउच्च् पीठ ने उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना के संचालन में कथित रूप से करोड़ों रुपए के घोटाले की सीबीआई से जांच कराये जाने के आग्रह वाली जनहित याचिका पर आज केन््रद तथा राज्य सरकारों को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये।
न्यायमूर्ति अब्दुल मतीन तथा न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश स्थानीय संस्था ‘वी द पीपुल’ की तरफ से दायर जनहित याचिका पर दिया।
याची वकील प्रिंस लेनिन का आरोप है कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2007 से 2012 के बीच ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग के जरिये चलायी गयी इस योजना में सिर्फ कुछ जिलों में ही करीब 1600 करोड़ का घोटाला सामने आया है, जैसा
कि नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक :कैग: ने अपनी रिपोर्ट में भी कहा है।
याची लेनिन ने ‘भाषा’ को बताया कि इससे यह प्रकट होता है कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी इससे बड़ी रकम का घोटाला हो सकता है लिहाजा इसकी सीबीआई से जांच करायी जानी चाहिये।
उधर, मामले की सुनवाई के समय केन््रद तथा राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकीलों ने याचिका पर अपने जवाब दाखिल करने के लिये समय दिये जाने का आग्रह किया, जिस पर अदालत ने केन््रद तथा राज्य सरकार को अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने के लिये तीन हफ्ते का समय दिया है। उसके बाद दो हफ्ते में याचिकाकर्ता अपना प्रत्युत्तर दाखिल कर सकेगा। मामले की अगली सुनवाई पांच हफ्ते बाद होगी।
भाषा

 

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