300 घरों की उजड़ी थीं खुशियां, अब 45 दिन बाद जले घरों में चूल्हे

ढांड. गांव पबनावा में दलितों और सवर्णो के बीच चल रहा विवाद समाप्त हो गया है। गांव में जन जीवन आम दिनों की भांति सामान्य हो गया है। दलित परिवारों के घरों में 45 दिन बाद चूल्हा जलने लग गया है। जिससे दलित परिवारों में खुशी का माहौल बना हुआ है।

भरपाई देवी, संतरो, श्यामो, रीना, बोहती, मेसर ने बताया कि गांव में दलितों पर हुए हमले के बाद से पूरी दलित बस्ती के महिला एवं बच्चे अपने परिवारों से एक तरह से बिछुड़े हुए थे जो काफी दिनों के बाद गांव में शांति स्थापित होने से अपनों को मिल पाए है।

दलित महिलाओं ने बताया कि जब गांव में दलितों पर अत्याचार हुआ था तब ऐसा लग रहा था कि हम अपने पैतृक गांव में परिवार सहित रह नही पाएंगे। लेकिन गांव के सवर्ण जाति के बुद्धिमान लोगों की बदौलत ही हमारी गांव में वापसी का रास्ता साफ हुआ है। दलित महिलाओं ने गांव में बुद्धिमान लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा कि गांव में ऐसे लोगों के सहारे ही गरीबों का जीवन बीतता है।

उधर, सवर्ण जाति के लोग जो झगड़े के बाद से पुलिस प्रशासन के भय के चलते गिरफ्तारी से बचने के लिए लुक्का छिपी का खेल खेल रहे थे। उन परिवारों के व्यक्तियों ने राहत की सांस लेते हुए गांव में वापसी की है। पत्रकारों ने जब गांव में दौरा किया तो गांव में आम दिनों की भांति लोगों को कामकाज करते देखा गया।

पूर्व चेयरमैन ओमप्रकाश व गांव के सरपंच हुसन सिंह ने दलितों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि दलितों ने समझौते की बात मान कर सवर्ण समाज पर अहसान किया है जिसको कभी भूलाया नही जाएगा। उन्होंने समझौते के लिए गुप्तचर विभाग के कर्मचारियों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने दोनों समुदायों के बीच आपसी तालमेल में नि:स्वार्थ भाव से काम किया।

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